Friday, December 20, 2024
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peace party will have alliance with nda in up why did dr ayub change his strategy before lok sabha elections – यूपी में पीस पार्टी का NDA से होगा गठबंधन? लोकसभा चुनाव से पहले डॉ.अयूब ने क्‍यों बदली रणनीति, उत्तर प्रदेश न्यूज


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Dr. Ayub’s Peace Party: पीस पार्टी के प्रमुख डॉ.अयूब लोकसभा चुनाव से पहले अपने रुख में बदलाव दिखाते हुए कहा है कि उनकी पार्टी का कोई दुश्‍मन नहीं है। वो किसी भी दल से हाथ मिलने को तैयार हैं। साफ है कि मौका मिलेगा तो वह एनडीए से भी गठबंधन करने से पीछे नहीं हटेंगे। हाल में एक कार्यक्रम में डॉ.अयूब का ये बयान सामने आने के बाद राजनीति के गलियारों में यह सवाल उठने लगा कि क्‍या यूपी में वाकई पीस पार्टी का कभी एनडीए से गठबंधन हो सकता है? 

पीस पार्टी चीफ के इस नए रुख को लेकर लोगों को हैरानी इसलिए है कि अभी तक उनके और बीजेपी के बीच दूरियां ही दूरियां देखी गई हैं। करीब एक साल पहले ही डॉ.अयूब का एक बयान सामने आया था जिसमें उन्‍होंने भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन को मुसलमानों का दुश्‍मन बताया था। तब पीस पार्टी का रुख ये था कि वो किसी भी हालात में एनडीए का समर्थन नहीं करेगी।

डॉ. अयूब की यूपी के पसमांदा मुसलमानों के बीच पकड़ बताई जाती है। उन्‍होंने 2008 में पीस पार्टी का गठन किया था। अगले ही साल 2009 के लोकसभा चुनाव में पीस पार्टी ने 20 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतार दिए थे। हालांकि सभी सीटों पर हार ही मिली। उस चुनाव में पीस पार्टी को करीब एक फीसदी वोट मिले थे। 

साल-2012 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी ने पहली बड़ी सफलता हासिल की। उस चुनाव में डॉ.अयूब की पार्टी 208 सीटों पर लड़ी थी। जबकि उसे जीत चार सीटों पर मिली थी। खलीलाबाद सीट से खुद डॉ. अयूब चुने गए थे। इसके अलावा रायबरेली, कांठ और डुमरियागंज की सीट भी पीस पार्टी ने जीती थी।

हालांकि गठबंधन के दौर में भी उनका किसी बड़े दल के साथ समझौता नहीं हो सका और राजनीति के मैदान में पीस पार्टी अलग-थलग ही पड़ी रही। बाद के किसी भी चुनाव में पीस पार्टी नहीं जीती। सभी चुनावों में शामिल जरूर होती रही। 2017 में यूपी में सीएम योगी की अगुवाई में बीजेपी की प्रचंड बहुमत की सरकार बनने और 2022 में उसकी दमदार वापसी के बीच डॉ.अयूब और उनकी पार्टी की ज्‍यादा चर्चा नहीं हुई। जब कभी चर्चा हुई भी तो विवादों की वजह से। 

जानकारों का कहना है कि डॉ.अयूब अब एक बार फिर पीस पार्टी की राजनीति की गाड़ी को सही पटरी पर लाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्‍हें अहसास हो गया है कि बिना किसी बड़े दल के साथ के अकेले दम पर पार्टी को किसी मुकाम तक ले जाना कितना कठिन हो सकता है। यही वजह है कि अब वह एक बार फिर किसी बड़े दल से अपनी पार्टी के गठबंधन के प्रयासों में जुटे हैं।

इधर, पसमांदा मुसलमानों के बीच बीजेपी की बढ़ती सक्रियता को देखकर उन्‍हें एनडीए में भी संभावनाएं दिखने लगी हैं। यही वजह है कि वह एनडीए से भी हाथ मिलाने को तैयार ही नहीं दिख रहे बल्कि इसके लिए प्रयास भी कर रहे हैं। 

माना जा रहा है कि यही वजह है कि डॉ. अयूब अब भाजपा की तरफ भी दोस्ती का हाथ बढ़ाते दिख रहे हैं। एनडीए से गठबंधन को लेकर उनके हाल के बयान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। डॉ. अयूब का कहना है कि यूपी में पसमांदा मुस्लिम समाज जागरूक हो गया है। सिर्फ वोटबैंक बन कर नहीं रहना चाहता है।

वे कहते हैं कि अब तक यह समाज सिर्फ धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भाजपा को हराने के लिए वोट करता था, लेकिन अब यह समझ में आने लगा है कि यह विचारधारा समाज को नुकसान पहुंचा रहा है। डॉ. अयूब का कहना है कि उत्‍तर प्रदेश में अब समांदा मुसलमान जागरूक हो गया है। वो सिर्फ वोटबैंक बन कर नहीं रहना चाहता है। 



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