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बेगुसराय. संडे हो या मंडे रोज खाएं अंडे. विज्ञापन की ये लाइन तो हम लोग बचपन से सुनते देखते आ रहे हैं. कुछ लोगों ने इसका महत्व जान लिया है और ये अब इनके लिए सोने के अंडे साबित हो रहे हैं. विज्ञापन की ये टैग लाइन सपने पूरा करने का स्लोगन बन गया है. (नीरज कुमार)
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