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संजय सूरी
कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पीएम मोदी को G-7 सम्मेलन में आमंत्रित करके इस रणनीति की शुरुआत की है. भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में उसकी केंद्रीय भूमिका ने कनाडा को पीएम मोदी को इस बैठक में आमंत्रित करने के लिए मजबूर किया है. अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव, खासकर डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में संभावित टैरिफ नीतियों के कारण, कनाडा अपने निर्यात को विविधता देने और नए बाजारों की तलाश में है. इस संदर्भ में भारत, अपनी 1.4 अरब की आबादी और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ कनाडा के लिए एक आकर्षक साझेदार बन गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023 में लगभग 9 अरब डॉलर था. वह दोगुना या तिगुना करने की संभावना है.
रिश्तों में सुधार का समय
कानूनी विवादों पर बातचीत
हालांकि, निज्जर मामले और सिख अलगाववाद जैसे कानूनी मुद्दे अभी भी हवा में हैं. भारत का मानना है कि कनाडा को इन चिंताओं पर ठोस कार्रवाई करनी होगी, जबकि कनाडा जांच पूरी होने तक भारत से सहयोग की उम्मीद कर रहा है. G-7 के दौरान होने वाली बातचीत में इन मुद्दों को सुलझाने की कोशिश होगी, लेकिन दोनों पक्ष इसे रिश्तों की प्रगति के आड़े नहीं आने देना चाहते. एक वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ ने कहा, “यह एक संतुलित दृष्टिकोण होगा, जहां दोनों देश एक-दूसरे की संवेदनाओं का सम्मान करेंगे.”
कनाडा की रणनीति और भारत का रुख
वर्ष 2015 के बाद मोदी की यह पहली कनाडा यात्रा है. यह दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रीसेट सफल रहा, तो यह न सिर्फ व्यापार, बल्कि प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा.
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