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PM Modi Canada Visit: भारत के साथ रिश्ता सुधारना कनाडा की मजबूरी

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PM Modi Canada Visit: भारत के साथ रिश्ता सुधारना कनाडा की मजबूरी

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संजय सूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कनाडा यात्रा ने दोनों देशों के बीच जमी बर्फ को पिघलाने का रास्ता साफ किया है. पीएम यहां हो रहे जी-7 देशों की बैठक में शामिल होने आए हैं. जी-7 की बैठक कनाडास्किस में आयोजित है. भारत के रिश्ता बेहतर करना इस वक्त कनाडा के लिए एक मजबूरी की तरह, क्योंकि वह अमेरिका के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बीच नए आर्थिक साझेदार की तलाश में है. दूसरी तरफ भारत आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. वह तेजी से बढ़ते बाजार के रूप में उभर रहा है. ऐसे में वह कनाडा के लिए सबसे अहम विकल्प के रूप में सामने आया है.

कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पीएम मोदी को G-7 सम्मेलन में आमंत्रित करके इस रणनीति की शुरुआत की है. भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में उसकी केंद्रीय भूमिका ने कनाडा को पीएम मोदी को इस बैठक में आमंत्रित करने के लिए मजबूर किया है. अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव, खासकर डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में संभावित टैरिफ नीतियों के कारण, कनाडा अपने निर्यात को विविधता देने और नए बाजारों की तलाश में है. इस संदर्भ में भारत, अपनी 1.4 अरब की आबादी और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ कनाडा के लिए एक आकर्षक साझेदार बन गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023 में लगभग 9 अरब डॉलर था. वह दोगुना या तिगुना करने की संभावना है.

रिश्तों में सुधार का समय

पिछले दो सालों से भारत-कनाडा के संबंधों में खटास रही है, खासकर 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद. इसके लिए कनाडा ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे. भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कनाडा पर सिख चरमपंथ को बढ़ावा देने का इल्जाम लगाया. लेकिन अब दोनों देशों के नेता इस अतीत को पीछे छोड़ आगे बढ़ने पर फोकस कर रहे हैं. मोदी और कार्नी की मुलाकात G-7 के दौरान एक रीसेट पॉइंट के रूप में देखी जा रही है, जहां वे द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने की कोशिश करेंगे. विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दोनों नेता कानूनी विवादों पर अटकने के बजाय आर्थिक और व्यापारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं.

कानूनी विवादों पर बातचीत

हालांकि, निज्जर मामले और सिख अलगाववाद जैसे कानूनी मुद्दे अभी भी हवा में हैं. भारत का मानना है कि कनाडा को इन चिंताओं पर ठोस कार्रवाई करनी होगी, जबकि कनाडा जांच पूरी होने तक भारत से सहयोग की उम्मीद कर रहा है. G-7 के दौरान होने वाली बातचीत में इन मुद्दों को सुलझाने की कोशिश होगी, लेकिन दोनों पक्ष इसे रिश्तों की प्रगति के आड़े नहीं आने देना चाहते. एक वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ ने कहा, “यह एक संतुलित दृष्टिकोण होगा, जहां दोनों देश एक-दूसरे की संवेदनाओं का सम्मान करेंगे.”

कनाडा की रणनीति और भारत का रुख

कनाडा के लिए यह यात्रा न सिर्फ आर्थिक जरूरत है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर भी है. लगभग 18 लाख भारतीय मूल के लोग कनाडा में रहते हैं, जो दोनों देशों के बीच लोगों के रिश्तों को गहरा बनाते हैं. दूसरी ओर, भारत इस रीसेट को अपनी वैश्विक छवि और कूटनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए उपयोग करना चाहता है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि कनाडा के साथ गहरे लोगों के रिश्ते और साझा हितों के आधार पर हम मिलकर काम करेंगे.

वर्ष 2015 के बाद मोदी की यह पहली कनाडा यात्रा है. यह दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रीसेट सफल रहा, तो यह न सिर्फ व्यापार, बल्कि प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा.

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