हाइलाइट्स
जनहित में सैकड़ों धरना-प्रदर्शन कर चुके बीजेपी सांसद को ‘आंदोलित लाल मीणा’ कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी
सियासी दावंपेंच के चलते डॉ. किरोड़ी के आंदोलनों को पूरी तरह नहीं मिलता बीजेपी पदाधिकारियों का साथ
एच. मलिक
दौसा. भाजपा के राज्यसभा सांसद के समर्थकों के बीच अक्सर ये नारा गूंजता है- जिसका कोई न पूछे हाल, उसके संग किरोड़ी लाल. एक बार फिर बीजेपी सांसद सुर्खियों में हैं. पूर्वी राजस्थान (Rajasthan) से लेकर वागड़ तक और राजधानी (Capital) से लेकर मारवाड़ तक किरोड़ी लाल मीणा (BJP MP Kirori Lal Meena) सरकार के खिलाफ हर संघर्ष के लिए न सिर्फ उपलब्ध रहते हैं, बल्कि कई आंदोलनों (Agitations) की तो उन्होंने ही अगुवाई की है. यही वजह है कि जनजातीय समुदाय में गहरी पैठ रखने वाले मीणा के लिए समर्थक दम भरते हैं कि बीजेपी (BJP) के समानांतर अकेले ‘बाबा’ ही विपक्ष (Opposition) की भूमिका निभा रहे हैं.
जयपुर में वीरांगनाओं की मांगों को लेकर एक बार फिर सुर्खियां में आए मीणा की पुलिस से झड़प हुई तो वो घायल हो गए. उन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया. लेकिन किरोड़ी एम्स में इलाज कराने के लिए दिल्ली गए हैं.
आपके शहर से (जयपुर)
वीरांगनाओं के हक की लड़ाई
यह कोई पहला मौका नहीं है, जबकि राज्यसभा सांसद पीड़ितों के पक्ष में धरने पर बैठे हों. अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने इतने धरने-प्रदर्शन किए हैं कि यदि उन्हें आंदोलित लाल मीणा कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी. पुलवामा के शहीदों की वीरांगनाओं के हक की लड़ाई में वो फिर एक बार साथ हैं. डॉ. मीणा के आंदोलन में साथ आने के बाद पुलवामा शहीद रोहिताश्व लांबा, हेमराज मीणा और जीतराम गुर्जर की वीरांगनाओं की अनुकंपा नियुक्ति के अलावा अन्य मांगे सरकार ने मान ली हैं. इससे पहले भी वे पिछले कुछ ही सालों में कई प्रदर्शनों में भाग ले चुके हैं. उनमें से कुछ प्रमुख ये हैं.
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अलवर के राजगढ़ में आंदोलन
इससे पहले 19 दिसम्बर 2022 को अलवर के राजगढ़ में चंद्र सिंह की ढाणी सुरेर में आंदोलनकारियों के साथ डॉ मीणा ने धरना दिया था. उनकी मौजूदगी में मांगों के समाधान के लिए 7 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया गया. उस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह एवं जिला कलेक्टर से वार्ता के बाद बात बनी. राजगढ़ क्षेत्र के चंद्र सिंह की ढाणी में राहुल गांधी के आगमन पॉइंट पर आंदोलन समाप्त होने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस की ली.
रीट में पेपर लीक पर जोरदार विरोध
राजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा (रीट) के बहुचर्चित पेपर लीक मामले को लेकर भी इससे 10 फरवरी 2022 को डॉ.मीणा जयपुर स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे थे. मीणा का आरोप था कि पेपर लीक में रीट को आयोजित करने वाले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की भी भूमिका है. इसके बाद बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारौली को बर्खास्त किया गया. हालांकि इस मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग सरकार ने नहीं मानी थी. मीणा का आरोप था कि पेपर लीक करके बेचने से जुड़े मामले में 400 करोड़ की डील हुई है.
आमागढ़ किले पर रातोंरात फहराया झंडा
जयपुर के आमागढ़ किले पर 21 जुलाई को गंगापुर सिटी के निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा की मौजूदगी में किले पर फहराया गया भगवा ध्वज फाड़कर उतार दिया गया। वहां मूर्तियों के साथ तोड़फोड़ की गई। ट्रांसपोर्ट नगर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ तो विवाद और गहरा गया। पुलिस ने ड्रोन कैमरों के किले की निगरानी की। इसके बावजूद 1 अगस्त को पुलिस की चाक-चौबंद निगरानी और इंटेलीजेंस को चकमा देकर डॉ. मीणा अपने समर्थकों के साथ आधी रात को आमागढ़ पहाड़ी पर पहुंचे और सुबह होते ही मीणा समाज का झंडा फहरा दिया। इसके बाद उनको गिरफ्तार कर पुलिस विद्याधर नगर थाने ले गई। दोपहर बाद किरोड़ीलाल मीणा को रिहा कर दिया गया।
पुजारी के शव के साथ प्रदर्शन
भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने 11 अप्रैल 2021 को जयपुर में पुजारी के शव को लेकर धरना-प्रदर्शन भी किया था. दौसा के महुआ में एक मंदिर के पुजारी शंभु शर्मा की जमीन को आरोपियों द्वारा हड़पने से पुजारी अवसाद में चले गए. जिससे मौत हो गई. इसके बाद डॉ मीणा पुजारी का शव लेकर धरने पर बैठ गए. दौसा में लाठीचार्ज होने के बाद पुलिस को भनक भी नहीं लगी और मीणा महवा पुलिस थाने से शंभू पुजारी के शव को लेकर जयपुर में सरकार की नाक के नीचे सिविल लाइन्स फाटक तक पहुंच गए. मीणा ने अपने समर्थकों के साथ सीएम हाउस के बाहर शव रखकर प्रोटेस्ट किया था.
पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए हमेशा तत्पर
- डॉ किरोड़ी 71 साल की आयु में छापामार पद्धति से भी आंदोलन करते हैं. वे जयपुर की सड़कों से लेकर बांसवाड़ा की सुदूर ढाणी तक में ग्रामीणों से साथ खाट पर लेटे नजर आ जाएंगे.
- बूकना (सपोटरा) का बाबूलाल वैष्णव हत्याकांड व टीकरी (महवा) के शंभू पुजारी हत्याकांड के लिए डॉ किरोड़ी ने लड़ाई लड़ी और न्याय दिलवाकर ही हटे.
- आदिवासी महिलाओं और बच्चों की मांगों को लेकर वे मुख्यमंत्री निवास के गेट तक तथा कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी अजय माकन के होटल के दरवाजे न्याय के लिए खटखटा चुके हैं.
- भारतमाला योजना के तहत आने वाली किसानों की जमीन के उचित मुआवजे की मांग को लेकर सर्दी में गड्ढ़े में रात गुजारने वाले डॉ.किरोड़ीलाल का जज्बा आज भी देखने लायक हैं.
- सैकड़ों धरना-प्रदर्शन कर चुके डॉ किरोड़ी जयपुर से दौसा को अलग जिला बनवाने के आंदोलन मे भी अग्रणी रहे थे.
इसलिए पार्टी नहीं देती आंदोलनों में साथ
दिलचस्प यह कि सैकड़ों आंदोलनों के चलते सौ से ज्यादा मामले दर्ज होने, 35 से ज्यादा बार जेल के सीखचों के पीछे जाने के बावजूद उनको ज्यादातर पार्टी का सपोर्ट नहीं मिलता. चूंकि धरना-प्रदर्शन के ये कार्यक्रम डॉ. मीणा अपने स्तर पर तय करते हैं. पार्टी से इतर आंदोलन होने के कारण पार्टी के पदाधिकारी उनके आंदोलनों में हिस्सा नहीं लेते हैं. खुद बीजेपी सांसद मीणा ने भी यह शिकायतें की हैं कि पार्टी और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां उनके जनहित के आन्दोलनों को महत्व नहीं देते. सूत्रों और जानकारों का कहना है कि डॉ मीणा के आंदोलनों को पार्टी का साथ इसलिए भी नहीं मिलता कि इससे वे प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी में आ सकते हैं.
जन आक्रोश रैलियों में बीजेपी ने दिखाई ताकत
इसके अलावा राजस्थान का एक वर्ग और युवा उनके साथ जुड़े हैं, ऐसे में मीणा के सहयोग से उनकी राजनीतिक ताकत और बढ़ सकती है. हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि पार्टी स्तर पर कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन न होते हों. प्रदेश अध्यक्ष पूनियां के नेतृत्व में सारे राजस्थान में कई जन आक्रोश रैलियां हो चुकी हैं. इसमें पार्टी की ताकत नजर आई है. विधानसभा में भी कटारिया-राठौड़-पूनियां की तिकड़ी गहलोत सरकार को खूब घेरती है. पार्टी के लोग यह भी कहते हैं कि मीणा खुद को सुर्खियों में बनाए रखने के लिए ऐसा करते हैं. लेकिन इन बातों पर ध्यान न देते हुए मीणा एकला चलो राह अपनाते हुए लगातार जनहित के लिए आंदोलित रहते हैं.
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Tags: Dausa news, Satish Poonia
FIRST PUBLISHED : March 17, 2023, 06:18 IST