[ad_1]
ऐप पर पढ़ें
Gorakhpur University News: पिछले दो वर्षों में तीसरी बार निलंबन का सामना कर रहे दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) के हिन्दी के वरिष्ठ आचार्य प्रो. कमलेश कुमार गुप्त को उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके निलंबन समेत सभी अनुशासनात्मक कार्रवाई को समाप्त कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रो. कमलेश पर की गई कार्रवाई में संविधान का पालन नहीं किया गया।
हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस विकास बुधवार ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद विश्वविद्यालय द्वारा पहले निलंबन आदेश सह आरोप पत्र के साथ ही दूसरे निलंबन आदेश और आरोप पत्र को खारिज कर दिया। सभी चार्जशीट भी खत्म कर दी गई। कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा है कि प्रो. कमलेश के मामले में डीडीयू द्वारा गठित अनुशासनिक समिति संविधान के अनुरूप नहीं बनी थी।
प्रो. कमलेश गुप्त के अधिवक्ता अधिवक्ता कुष्मांडेय शाही और अरविंद प्रबोध दूबे ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट द्वारा बीते 10 मई को निलंबन पर रोक के आदेश के बाद भी कार्य परिषद से कोई अनुशासनिक समिति के गठन को मंजूरी नहीं मिली थी।
दुराग्रह के विरुद्ध सत्याग्रह की जीत प्रो. कमलेश कोर्ट से निलंबन रद्द होने के बाद प्रो. कमलेश गुप्त ने फेसबुक पर लिखा है, यह दुराग्रह के विरुद्ध सत्याग्रह की जीत है। हम यह जीत आतंक, अन्याय, अत्याचार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्षरत हर व्यक्ति को समर्पित करते हैं। हम उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं और वर्तमान विश्वविद्यालय प्रशासन की संवेदनशीलता को देखते हुए आश्वस्त हैं कि न्यायालय का समादर सुनिश्चित होगा।
दो वर्षों में कुल 15 माह रहे निलंबित
प्रो. कमलेश बीते 28 जून से ही निलंबित चल रहे हैं। इससे पहले वे 3 अक्तूबर 2022 से 24 जून 2023 तक निलंबित रहे थे। पहली बार वे 21 जून 2021 से 8 फरवरी 2022 तक निलंबित थे।
कब-कब हुए निलंबित
-21 दिसंबर 2021 को सत्याग्रह करने पर पहली बार निलंबन।
-03 अक्तूबर 2022 को विभिन्न आरोपों में दोबारा हुए निलंबित।
-28 जून 2023 को चार दिन की बहाली के बाद पुन निलंबन।
[ad_2]
Source link