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विक्रांत पर होगा तैनात
राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन को इस बात पर भरोसा है कि भारतीय नौसेना की वॉरशिप आईएनएस विक्रांत के लिए राफेल को मंजूरी मिल सकती है। राफेल एम को अभी तक ग्रीस, इंडोनेशिया और यूएई की सेनाएं प्रयोग कर रही हैं। खास बात है कि नौसेना ने अमेरिकी जेट F/A-18 सुपर हॉर्नेट को रिजेक्ट किया है। नौसेना की तरफ से इस साल की शुरुआत में दोनों जेट्स का ट्रायल किया गया था। इस ट्रायल की एक विस्तृत रिपोर्ट दिसंबर में भारत के रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई थी। दोनों फाइटर जेट्स को गोवा स्थित नौसेना के बेस आईएनएस हंसा पर टेस्ट किया गया था।
क्यों चुना राफेल को
नौसेना का मानना है कि राफेल उसकी जरूरतों को कई ज्यादा बेहतरी से पूरा कर सकता है। नौसेना अपने बेड़े में पुराने पड़ चुके रूस के 43 फाइटर जेट्स मिग-29के और मिग-29KUB को हटाना चाहती है। कई एयरक्राफ्ट का नाम नौसेना के दिमाग में था लेकिन फाइनल रेस राफेल एम और एफ-18 के बीच थी। फ्रेंच नेवी के पास इस समय 240 राफेल एम जेट हैं। इन जेट्स को दसॉल्ट ने साल 1986 से निर्मित करना शुरू किया था।
दोनों ही जेट्स पहले ही एडवांस्ड एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर तैनात हैं। ऐसे में दोनों जेट्स CATOBARs सिस्टम से लैस एयरक्राफ्ट कैरियर्स के लिए फिट हैं। नौसेना के पास इस समय नया एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत है और एक पुराना आईएनएस विक्रमादित्य है। विक्रमादित्य सोवियत संघ का कीव क्लास का एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसका आधुनिकीकरण भारत में किया गया है। ये दोनों वॉरशिप्स STOBAR एयरक्राफ्ट कैरियर हैं।
कहां पर बेस्ट राफेल
CATOBAR सिस्टम से लैस कैरियर पर फाइटर जेट्स अरेस्टेड लैंडिंग कर सकते हैं। लेकिन STOBAR से लैस कैरियर पर अरेस्टिंग गीयर्स तो होते हैं लेकिन कैटापुल्ट्स न होने की वजह से जेट्स को सीमित जगह पर टेक ऑफ करने में खासी मुश्किलें होती हैं। स्की जंप की मदद से दोनों कैरियर्स पर जेट्स टेक ऑफ कर पाते हैं। राफेल एम ने यहीं पर बाजी मारी है। आईएनएस विक्रमादित्य पर इस समय नौसेना ने अपने मिग-29 का बेड़ा तैनात कर रखा है।
राफेल की खतरनाक रडार
राफेल एम ने कुछ ही दिनों पहले अमेरिकी नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस जॉर्ज एचडब्लू बुश पर कई तरह के मैनुवर्स को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। सुपर हॉर्नेट और राफेल एम दोनों ही एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार से लैस हैं। राफेल एम में RBE2-AA रडार फिट है। ये रडार हवा, समुद्र और जमीन पर टारगेट को स्कैन और ट्रैक कर सकती है। राफेल एम अपनी विजुअल रेंज की वजह से सुपर हॉर्नेट पर भारी पड़ता है।
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