Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुए लगभग दो महीने हो गए हैं। भगवान राम की प्रतिमा बनाने वाले अरुण योगीराज का कहना है कि वह अभी तक न तो इस भावना को आत्मसात कर पाए हैं और न ही आराम कर पाए हैं। वह लगातार विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में अपने अनुभव के बारे में बात करने के लिए निमंत्रण पर देश का दौरा कर रहे हैं। आज भी उन्हें फोन कॉल और मैसेज प्राप्त हो रहे हैं। वह सभी का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में योगीराज ने बताया कि उनका नाम इस काम के लिए मूर्तिकारों की शुरुआती शॉर्टलिस्ट में भी नहीं था। अंतिम निर्णय लेने से सिर्फ एक दिन पहले मंदिर ट्रस्ट द्वारा गठित समिति के सामने एक प्रस्तुति देने के लिए बुलाया गया था।
मूर्ति बनाने के लिए जब तीन कलाकारों में से चुना गया तो उन्हें बड़ा झटका लगा। मूर्ति बनाने के लिए वह जिस पत्थर का उपयोग कर रहे थे वह गुणवत्ता परीक्षण में से एक में विफल हो गया। तब तक वह 70 प्रतिशत काम पूरा कर चुके थे। उन्हें बताया गया कि अगर वह लिस्ट में बने रहना चाहते हैं तो उन्हें यह सब फिर से करना होगा।
एक फोन कॉल ने बदली किस्मत
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से तीन कुछ महीने पहले तीनों कलाकारों मूर्तियों को तराशने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। देश भर से लगभग एक दर्जन मूर्तिकारों को समिति के सामने अपनी प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया गया था। योगीराज कहते हैं कि वह लिस्ट में नहीं थे। समिति की बैठक से ठीक एक दिन पहले उन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के सच्चिदानंद जोशी ने फोन किया।
आपको बता दें कि योगीराज का काम तब नोटिस में आया जब उन्होंने इंडिया गेट पर लगाई जाने वाली सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति और केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की मूर्ति बनाई। दोनों का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
उन्होंने कहा, “मेरी प्रस्तुति के बाद मुझे बताया गया कि हम में से तीन मूर्ति को तराशने के लिए अयोध्या में तैनात रहेंगे। इनमें से एक को अंततः मंदिर के लिए चुना जाएगा।” योगीराज का कहना है कि उन्हें ट्रस्ट द्वारा चयन के बारे में लगभग एक महीने पहले यानी 29 दिसंबर को सूचित किया गया था। उन्होंने कहा, “मैं उस तारीख को नहीं भूल सकता हूं।”
नृपेंद्र मिश्रा ने योगीराज को समझाया
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तीनों मूर्तिकारों को मुआवजा दिया है। जो दो मूर्तियां गर्भगृह तक नहीं पहुंच सकीं, उन्हें मंदिर परिसर के अंदर स्थापित किया जाएगा। अरुण योगीराज ने जून 2023 में मूर्ति को तराशना शुरू करने के बाद अगस्त तक लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा कर लिया। तभी एक और परीक्षण के लिए तैयार किया गया। निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने उन्हें तुरंत दिल्ली चलने को कहा।
उन्होंने कहा, ”मुझे बताया गया कि हम उस मूर्ति पर आगे नहीं बढ़ सकते, जिस पर मैं नक्काशी कर रहा था क्योंकि पत्थर पर आठ में से एक परीक्षण नकारात्मक आया था।”नृपेंद्र मिश्रा ने योगीराज को समझाया कि चूंकि रामलला की मूर्ति बनाना एक ऐतिहासिक कार्य माना जाता है, इसलिए वे राष्ट्र के प्रति जवाबदेह हैं।
योगीराज से कहा गया, ”आपके पास अभी भी दो महीने हैं। इसलिए, सितंबर से एक नए पत्थर (कृष्ण शिला) पर काम करने के लिए सहमत हुए।” उन्होंने मूर्ति को गढ़ने के अपने पिछले अनुभव को सोचने की कोशिश की और काम शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि दो महीने में मैं मूर्ति पूरी करने में सक्षम हो गया।
योगीराज कहते हैं कि उन्होंने कई छोटे-छोटे काम करना शुरू किया। उन्हें प्रति मूर्ति 1,500-2,000 रुपये की कमाई होती थी। वह कहते हैं, ”मैं हमेशा सोचता था कि मुझे बड़ा काम कब मिलेगा।” उन्होंने आगे कहा कि उन्हें नहीं पता था कि उनके लिए ऐसा कुछ होने वाला है।