[ad_1]
जॉर्जीवा ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘हमारा अनुमान है कि नए साल में दुनिया की एक तिहाई इकॉनमी मंदी की चपेट में होगी। जो देश मंदी की चपेट में नहीं होंगे, वे भी इसका असर महसूस करेंगे। ऐसे देशों में लाखों पर इसका असर होगा।’ यूक्रेन में चल रही जंग से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है। साथ ही महंगाई को रोकने के लिए दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में इजाफा किया है। इस बीच चीन ने अपनी जीरो कोविड पॉलिसी को खत्म कर दिया है और फिर से इकॉनमी को खोलना शुरू कर दिया है। लेकिन देश में कोरोना अभी काबू में नहीं आया है। चीन के इस कदम से एक बार फिर दुनियाभर में कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं।
चीन का होगा सबसे बुरा हाल
आईएमएफ चीफ ने कहा कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन के लिए 2023 की शुरुआत सबसे खराब होगी। उन्होंने कहा, ‘चीन के लिए अगले कुछ महीने बेहद मुश्किल रहने वाले हैं। इसका चीन की ग्रोथ पर निगेटिव असर होगा। साथ ही उस क्षेत्र और दुनिया पर भी इसका नकारात्मक असर होगा।’ हाल में आए आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 के अंत में चीन की इकॉनमी में गिरावट आई है। दिसंबर महीने के लिए पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) में लगातार तीसरे महीने गिरावट दर्ज की गई है। चाइना इंडेक्स एकैडमी के मुताबिक दिसंबर में 100 शहरों में मकानों की कीमत में लगातार छठे महीने गिरावट आई। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि देश नए दौर में प्रवेश कर रहा है। ऐसे में देश में नए प्रयासों और एकजुटता की जरूरत है।
आईएमएफ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसके 190 सदस्य देश हैं। इस संस्था का काम दुनिया की इकॉनमी में स्थिरता लाना है। यह दुनिया की इकॉनमी के बारे में अनुमान जताता है। जॉर्जीवा ने सीधे तौर पर भारत के बारे में कोई अनुमान नहीं जताया लेकिन कहा कि सभी देशों में मंदी का असर दिखाई देगा। जब किसी इकॉनमी में लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी ग्रोथ घटती है, तो उसे तकनीकी रूप में मंदी कहा जाता है। इस स्थिति में महंगाई और बेरोजगारी तेजी से बढ़ती है। लोगों की इनकम कम होने लगती है और शेयर मार्केट में लगातार गिरावट दर्ज की जाती है।
[ad_2]
Source link