बाइडेन ने कहा था पायरिया
अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसियों की मानें तो एमबीएस के कहने पर उन्हें मरवाया गया था। हालांकि एमबीएस हमेशा इससे इनकार करते आए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सार्वजनिक तौर पर उस समय सऊदी अरब को ‘पायरिया’ तक करार दे डाला था। लेकिन अब ऐसा लगता है कि अमेरिका हो या चीन, सबको यह खबर है कि एमबीएस के बिना उनकी गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकती है। इस साल सितंबर में एमबीएस को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। कई लोगों की मानें तो यह कदम उन्हें अमेरिका की तरफ से होने वाली सजा से बचाने के लिए ही उठाया गया है।
खाशोगी की यादें फीकी
पिछले दिनों अमेरिका की एक कोर्ट ने उनके खिलाफ दायर केस को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह एक देश के मुखिया हैं और उन्हें सुरक्षा हासिल है। हालांकि जज ने यह माना कि एमबीएस पर खाशोगी की हत्या में शामिल होने के जो आरोप लगे हैं वो विश्वसनीय हैं। कोर्ट का कदम एमबीएस के लिए बड़ा फैसला था। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब खुद को एक ऐसे खिलाड़ी के तौर पर साबित कर सकते हैं, जिसकी जरूरत सभी को है। एमबीएस, चीन-अरब सम्मेलन के लिए जिनपिंग से लेकर मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका तक के नेताओं का स्वागत करने में लगे हैं। ऐसे में खाशोगी हत्याकांड की यादें भी कमजोर पड़ने लगी हैं।
चीन के साथ तेल की डील!
जिनपिंग ने मुलाकात के दौरान क्राउन प्रिंस के सामने तेल का मसला भी उठाया होगा। तेल की डील उनके एजेंडे में सबसे ऊपर होगी। वह ऐसे समय में सऊदी अरब के दौरे पर गए हैं जब देश में जीरो कोविड नीति में ढील दी गई है। इस नीति के बाद बड़े स्तर पर हुए विरोध प्रदर्शनों ने जिनपिंग को झुकने के लिए मजबूर कर दिया था।
चीन को मिलेगी राहत
चीन में बेरोजगारी में 20 फीसदी तक का इजाफा हो चुका है, अर्थव्यवस्था संकट में है, प्रॉपर्टी मार्केट डूब रहा है और ऐसे में जिनपिंग का दौरा काफी कुछ हासिल कर सकता है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। इसकी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए तेल की काफी जरूरत है। सऊदी अरब वह देश है जो चीन को सबसे ज्यादा तेल निर्यात करता है। स्पष्ट है कि दोनों नेताओं के एजेंडे में तेल सबसे ऊपर है।