
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण एवं कावेरी जल नियमन समिति द्वारा तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी देने के बारे में कर्नाटक सरकार को दिए गए आदेशों के संदर्भ में बृहस्पतिवार को दखल देने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि वह तमिलनाडु की उस याचिका पर सुनवाई करने की इच्छुक नहीं है जिसमें राज्य ने कावेरी जल नियमन समिति के आदेश को बरकरार रखने के कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के फैसले को इस आधार पर चुनौती दी है कि बारिश की कमी के कारण राज्य सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है.
पीठ ने कहा कि सीडब्ल्यूएमए और कावेरी जल नियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) जैसी विशेषज्ञ संस्थाओं ने सूखे और कम बारिश जैसे सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार किया और फिर यह आदेश पारित किया. इसलिए पीठ कर्नाटक को 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश देने संबंधी आदेश में दखल नहीं देगी.बता दें कि कावेरी नदी को पोन्नी कहा जाता है. यह दक्षिण पश्चिम कर्नाटक के पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरी पहाड़ी से निकलती है.
यह नदी कर्नाटक से तमिलनाडु राज्यों में होकर पुडुचेरी से होते हुए बंगाली की खाड़ी में जाती है. 1892 और 1924 के दो समझौतों के चलते कावेरी जल विवाद आजादी के पहले से चला आ रहा है. इन समझौतों के तहत किसी भी निर्माण परियोजना, जैसे कावेरी नदी पर जलाश्य के निर्माण के लिए ऊपरी तटवर्ती राज्य को निचले तटवर्ती राज्य की अनुमति लेना जरूरी है. 1974 में कर्नाटक ने तमिलनाडु की सहमति के बिना पानी मोड़ना शुरू कर दिया, जिससे दोनों राज्यों के बीच विवाद शुरू हो गया.
.
Tags: Karnataka Government, Supreme Court, Tamil nadu
FIRST PUBLISHED : September 21, 2023, 14:27 IST