Monday, December 23, 2024
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Shardiya Navratri 2023: कल हाथी पर सवार होकर आ रहीं मां दुर्गा, नवरात्रि के पहले दिन करें कलश स्थापना, जानें विधि, मुहूर्त, पूजा सामग्री


हाइलाइट्स

15 अक्टूबर को नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं.
शारदीय नवरात्रि की कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त 11:44 एएम से 12:30 पीएम तक है.
कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.

शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 15 अक्टूबर दिन रविवार से हो रहा है. इस दिन मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आ रही हैं. यह शुभता और उन्नति का संकेत है. शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक होती है. महानवमी को हवन और पारण के साथ नवरात्रि का समापन होता है. दशमी को दशहरा मनाते हैं. कई स्थानों पर दशमी के दिन पारण करने का विधान है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी का कहना है कि इस साल दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर को और महानवमी 23 अक्टूबर को है. 24 अक्टूबर को दशहरा या विजयादशमी मनाई जाएगी. आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि के कलश स्थापना मुहूर्त और पूजा सामग्री के बारे में, ताकि आप पहले से ही व्रत और पूजा की तैयारी कर लें.

शारदीय नवरात्रि 2023: पहले दिन का शुभारंभ
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा का प्रारंभ: 14 अक्टूबर, शनिवार, रात 11:24 बजे से
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा का समापन: 15 अक्टूबर, रविवार, देर रात 12:32 बजे पर

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?
ज्योतिषाचार्य तिवारी के अनुसार, इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त 11:44 एएम से 12:30 पीएम तक है. कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. हालांकि इस वर्ष प्रतिपदा तिथि सूर्योदय से लेकर रात तक है, इसलिए आप सूर्योदय के बाद से अभिजित मुहूर्त के समापन समय तक कभी भी कलश स्थापना कर सकते हैं. कलश स्थापना के लिए दिन का चौघड़िया मुहूर्त मान्य नहीं होता है, इसलिए आप चौघड़िया मुहूर्त का त्याग करें.

शारदीय नवरात्रि 2023: कलश स्थापना और पूजा सामग्री
1. मां दुर्गा की मूर्ति
2. मिट्टी का एक कलश
3. लाल चुनरी और एक लाल रंग की साड़ी
4. लकड़ी की माता की चौकी, एक पीला वस्त्र, कुशवाला आसन
5. लाल-पीले सिंदूर और श्रृंगार सामग्री
6. जटावाला नारियल, सूखा नारियल, अक्षत्, गंगाजल
7. पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची
8. धूप, दीप, कपूर, बत्ती के लिए रुई, गाय का घी
9. रोली, शहद, रक्षासूत्र, चंदन, नैवेद्य, गुग्गल, लोबान, फल
10. आम की हरी पत्तियां, जौ, गुड़हल, फूलों की माला
11. मिठाई, पंचमेवा, माचिस, मातरानी का ध्वज आदि.

नवरात्रि कलश स्थापना और पूजा विधि
सबसे पहले पूजा स्थान को अच्छे से साफ सफाई कर लें. उसके बाद उत्तर या पूर्व दिशा में मिट्टी के बर्तन में थोड़ी मिट्टी डालकर उसमें जौ बो दें और उसे जल से सींचें. इसके बाद कलश के गले में रक्षासूत्र लपेटें और तिलक करें. एक सिक्का, अक्षत्, फूल, गंगाजल, दूर्वा, सुपारी आदि डालकर उस कलश को पानी से भर दें. फिर आम की हरी पत्तियां रखकर उसे मिट्टी के बर्तन से ढक दें.

अब कलश स्थापना उत्तर या पूर्व स्थान पर करें. कलश के मुख पर मिट्टी के प्लेट को रखें और उसमें अक्षत् भर दें. फिर उस पर रक्षासूत्र लपेटा हुआ एक सूखा नारियल रखें. कलश के पास बोए गए जौ को भी रखें. जौ को 9 दिन तक जल से सींचना है. कलश स्थापना के बाद गाय के गोबर से गौरी और गणेश बनाएं. उनकी पूजा करें. अन्य देवी-देवताओं के साथ नवग्रहों की पूजा करें. फिर मां दुर्गा का आह्वान करें. उनकी मूर्ति स्थापित करके प्राण-प्रतिष्ठा करें. इस प्रकार से कलश स्थापना करने के बाद पहली नवदुर्गा मां शैलपुत्री की पूजा करें.

Tags: Dharma Aastha, Durga Pooja, Navratri, Navratri festival



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