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वैज्ञानिकों ने बताया असाधारण
तलवार को एक ऐसी कब्र में पाया गया है जहां पर तीन लोगों को दफनाया गया था। इनमें एक पुरुष, एक महिला और एक युवक था। उनके साथ ही कांसे की कुछ वस्तुओं को भी दफनाया गया था। पुरातत्वविदों का कहना है कि अभी भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि तीनों लोग आपस में संबंधित थे या नहीं और अगर इनका कोई रिश्ता था तो क्या।
बीएलएफडी के मुखिया प्रोफेसर मथियास फेफिल ने कहा, ‘तलवार और इसे दफन किए जाने की वजहों की और ज्यादा जांच करने की जरूरत है। इससे पुरातत्वविदों को इस खोज को और ज्यादा विस्तार से बताने में सफलता मिल सकेगी।’ उन्होंने कहा कि इस तलवार को असाधारण तरीकों से संरक्षित किया गया था। उन्होंने इस तरह की खोज बहुत ही दुर्लभ करार दिया है।
14वीं सदी की है तलवार
बीएलएफडी ने कहा, ‘इस अवधि से तलवारें मिलना असामान्य है। अक्सर ऐसी चीजें 19वीं सदी के अवशेषों की खुदाई में मिली हैं। बयान में कहा गया है कि खुदाई में मिली तलवार कांसे के हैंडल वाली है और इसे बनाने में पूरी तरह से कांसे का ही प्रयोग किया गया है। लाइवसाइंस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरातत्वविदों के मुताबिक यह अष्टकोणीय तलवार14 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से लगाया गया है। एक बहुत ही दुर्लभ है क्योंकि लोगों ने मध्य कांसे युग की कब्रों को सदियों से लूटा है।
सिर्फ लोहार बना सकते थे तलवार
पुरातत्वविदों के अनुसार ऐसी अष्टकोणीय तलवारें सिर्फ कुशल लोहार ही बना सकते हैं। हैंडल पर दो रिवेट्स ऐसे हैं जिन्हें ओवरले कास्टिंग नाम की टेक्नोलॉजी का उपयोग करके ब्लेड पर डाला गया है। हालांकि, ब्लेड में कोई कट के निशान नहीं हैं। ऐसे में लगता है कि यह तलवार प्रतीकात्मक उद्देश्य के लिए थी। विशेषज्ञों के मुताबिक तलवार आसानी से एक सक्रिय हथियार के रूप में काम करती होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्लेड के अगले सिरे पर गुरुत्वाकर्षण के केंद्र से पता चलता है कि यह विरोधियों को प्रभावी ढंग से गिरा सकती थी।
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