इन शीर्ष 100 कंपनियों में घातक हथियार, मिलिट्री प्लेन और सैन्य उपकरण बनाने वाली कंपनियों को शामिल किया जाता है। स्वीडन के थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रीसर्च इंस्टीट्यूट यानि सिप्री ने यह रिपोर्ट तैयार की है। भारतीय कंपनी एचएएल और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को पिछले साल क्रमश: 42वां और 63 वां स्थान मिला है। भारत की ये दोनों ही कंपनियां सरकारी क्षेत्र की हैं और इन्होंने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। गतवर्ष एचएएल को 43वां और बीईएल को 69 स्थान मिला था।
भारतीय कंपनियों ने 40 हजार करोड़ के हथियारों की बिक्री की
सिप्री ने बताया कि इन दोनों ही भारतीय कंपनियों ने दुनिया की शीर्ष 100 कंपनियों में जगह बनाई और करीब 5.1 अरब डॉलर या 40 हजार करोड़ रुपये के हथियारों की बिक्री की। इन दोनों ही कंपनियों को भारतीय सेना से बड़ा ऑर्डर मिला है। इस लिस्ट से इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बाहर हो गई हैं जो साल 2020 में टॉप 100 में थी। बताया जा रहा है कि इस कंपनी को साल 2021 में 7 छोटी कंपनियों में बांट दिया गया। इससे उनकी रैंकिंग गिर गई। इससे पहले साल 2020 में भारत सरकार ने ऐलान किया था कि वह करीब 100 तरीके के सैन्य उपकरणों का आयात बंद करने जा रही है।
पूरी दुनिया के स्तर पर देखें तो 100 शीर्ष कंपनियों ने साल 2021 में 592 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री की। यह साल 2020 की तुलना में 1.9 फीसदी ज्यादा है। चीन इस साल लगातार दूसरी बार अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्माता बना हुआ है। चीन की कुल 8 कंपनियों की कुल हथियारों की बिक्री 109 अरब डॉलर रही। यह पिछले साल की तुलना में 6.3 प्रतिशत ज्यादा है।
अमेरिका ने 299 अरब डॉलर के हथियार बेचे
शीर्ष 10 कंपनियों में से 4 चीन की सरकारी रक्षा कंपनियां हैं। सिप्री ने कहा कि इस हथियारों की बिक्री के आंकड़े से स्पष्ट होता है कि चीन बहुत तेजी से अपने हथियारों का आधुनिकीकरण कर रहा है। चीन का लक्ष्य हर तरीके के हथियार खुद ही बनाना है। इन 100 कपंनियों में से 40 अमेरिका की हैं और उन्होंने 299 अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की हथियार कंपनियों की बिक्री लगातार बहुत बढ़ रही है।