अभिषेक माथुर/हापुड़. अगर आप बोलने में हकलाते हैं, तो आपको इस परेशानी से मात्र 60 दिन में बहुत राहत मिल सकती है. इसके लिए आप किसी विशेषज्ञ स्पीच थैरेपिस्ट की सहायता ले सकते हैं या फिर इन टिप्सों को घर पर ही अपना कर इस परेशानी को दूर सकते हैं. हापुड़ की स्पीच थैरेपिस्ट विषेशज्ञ डॉ. मोना चुग ने बताया कि वह जिले में पटेल नगर स्थित अपने क्लीनिक पर ऐसे मरीजों की थैरेपी कराती हैं.
उन्होंने बताया कि पिछले 13 सालों में सैकड़ों मरीजों को अब तक वह सही कर चुकी है. डॉ. मोना चुग ने बताया कि उनके यहां आने वाले मरीजों का चेकअप करते समय तीन खास बातें नोटिस की जाती हैं. जिनमें पहली सीवीआरटी की डिग्री होती है, जिसमें यह देखा जाता है कि प्रॉब्लम कितने लेबल का है.
उन्होंने बताया कि यदि मरीज 50 शब्द बोल रहा है और 5 से 7 शब्दों पर अटक रहा है तो उसे मिनीमल श्रेणी में रखा जाता है. यदि मरीज 10 से 15 शब्दों पर अटक रहा है तो उसे माइल्ट श्रेणी में रखा जाता है. और यदि मरीज 20 से 22 शब्दों को सही से नहीं बोल पा रहा है तो उसे मॉडरेट डिग्री में रखा जाता है और इससे भी ज्यादा बोलने में हकलाहट हो रही है, तो उस मरीज को सीवियर डिग्री में रखा जाता है.
डॉ. मोना ने बताया कि सीवीआरटी डिग्री के बाद मरीज में डिव्स फ्यूएंसी को चेक किया जाता है. जिसमें वह हकलाते समय किस तरह की दिक्कत महसूस कर रहा है. जैसे सिलेबल रिपीटेशन ममममेरा… या बोलते समय कुछ समझ न आने पर अपनी तरफ से शब्दों को जोड़ रहा है. और सबसे तीसरा चैकअप होता है सैकेंड्रीज ब्हेवियर.. यानि बॉडी लैंग्वेज को चेक करना.
ये कोई मानसिक बीमारी नहीं
इसमें देखा जाता है कि मरीज के द्वारा बोलते समय बॉडी का कौन सा हिस्सा मूव कर रहा है या बोलते-बोलते मसल्स तो टाइट नहीं हो रहा. यह चेकअप मरीज में किया जाता है. डॉ. मोना चुग ने बताया कि अक्सर लोग इस बीमारी को मानसिक बीमारी से जोड़कर देखते हैं, जबकि इसका मानसिक बीमारी से कोई लेना-देना नहीं होता है.
इस तरह से कर सकते हैं प्रैक्टिस
डॉ. मोना चुग ने बताया कि हकलाने की समस्या मरीज की कोई गंभीर समस्या नहीं है. यह समस्या मात्र 60 दिन में आसानी से ठीक हो सकती है. इसके लिए मरीज को यह एक्सरसाइजर करना आवश्यक है. जिसमें सबसे पहले सांस लेने की प्रक्रिया को सही करना होगा. दूसरा सही से बोलने की प्रैक्टिस करनी होगी. यदि कोई फास्ट बोलता है, तो उसे धीरे बोलना सीखना होगा. उन्होंने बताया कि इसमें सबसे कारगर विधि चैंन्टिंग की भी है. यदि आप ऊं मंत्र का जाप करते हैं, तो इसमें बहुत हद तक राहत मिलती है.
टैपिंग एक्सरसाइज जरूरी
इसके अलावा अगर बोलने में ज्यादा ही दिक्कत आ रही है, तो इसमें मरीज को टैपिंग एक्सरसाइज करनी होगी. जिसमें एक-एक वर्ड बोलते समय हाथ को अपने घुटने पर मारना होगा. यह एक्सरसाइजर घर पर करने से मरीजों को बहुत आराम मिलेगा और पहले के मुकाबले हकलाने से उन्हें राहत मिलेगी. डॉ. मोना चुग ने बताया कि हकलाहट जैसी बीमारी में थैरेपी टैक्निक ही सबसे कारगर होती है.
बच्चों को करें सावधान!
डॉ. मोना चुग ने बताया कि आजकल सबसे ज्यादा यह समस्या बच्चों में देखने को मिल रही है. इसकी बड़ी वजह है कि बच्चे कार्टून देखते देखते कार्टून के कैरेक्टर में आ जाते हैं और कैरेक्टर को कॉपी करते हुए उसी तरह बोलना शुरू कर देते हैं. उन्होंने बताया कि जब भी बच्चे इस तरह से बोलते हुए दिखाई दें, तो उन्हें समय रहते सावधान कर दिया जाए और उन्हें अपनी ही बोली में बोलने के लिए कहा जाए.
सिचुएशनल प्रॉब्लम है
डॉ. मोना ने बताया कि कभी-कभी बच्चे प्रैशर में भी हकलाना शुरू कर देते हैं या उनमें देखा जाता है कि वह घर में सही तरह से बोलते हैं, लेकिन स्कूल में या रिश्तेदार और अन्य के सामने हकलाना शुरू कर देते हैं. यह बच्चों में सिचुएशनल प्रॉब्लम होती है. बच्चे प्रैशर में भी हकलाना शुरू कर देते हैं, जैसे बच्चे की कैपिसिटी है नहीं और पैरेंटस की डिमांड ज्यादा रहती है, तो उस दौरान भी बच्चे हकलाना शुरू कर देते हैं.
घर के बड़े बच्चों का करें ध्यान
उन्होंने बताया कि घर में किसी अन्य को हकलाहट की समस्या है, तो ऐसे में बढ़ते हुए बच्चों को उन लोगों के पास नहीं छोड़ना चाहिए. इससे वह जल्द ही खुद भी हकलाना सीख जाते हैं. ऐसे में सबसे पहले घर के बड़े लोगों को अपनी इस बीमारी का इलाज कराना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2023, 20:47 IST