Wednesday, February 5, 2025
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Spinal muscular atrophy- क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, जिसके इलाज में लगते हैं करोड़ों… कितनी है खतरनाक? जानें सब कुछ


हाइलाइट्स

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक आनुवंशिक बीमारी है.
इससे ग्रसित बच्चे बिना सहारे के बैठ या चल नहीं सकते हैं.
इसके इलाज के लिए एक इंजेक्शन है, जिसका दाम करोड़ों में है.

Spinal Muscular Atrophy: AIIMS के दिल्ली बाल रोग विभाग ने 11 महीने के एक मरीज के पिता के लिए एक सिफारिशी पत्र लिखा है. इसमें बच्चे के इलाज के लिए 17.5 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी गई है. बच्चा कानव जांगड़ा स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal muscular atrophy) टाइप-1 नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है. इसके इलाज के लिए खास इंजेक्शन की जरूरत होती है. अब जानते हैं कि आखिर यह बीमारी कितनी खतरनाक है. क्यों इसके इलाज में करोड़ों रुपये लग जाते हैं और इसके लक्षण क्या हैं?

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक आनुवंशिक बीमारी है. इस बीमारी के कई प्रकार होते हैं. लेकिन इसमें टाइप-1 सबसे गंभीर होता है. वेबएमडी के अनुसार बीमारी में बच्चा अपने सिर को सहारा देने या बिना मदद के बैठने में सक्षम नहीं होता है. उसके हाथ और पैर ढीले हो सकते हैं और कुछ भी निगलने में समस्या हो सकती है. सांस को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों में कमजोरी के कारण, टाइप 1 एसएमए वाले अधिकांश बच्चे दो साल से अधिक जीवित नहीं रहते हैं.

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क्या हैं लक्षण
जो बच्चे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से ग्रसित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान करने में और सांस लेने में उन्हें दिक्कत होती है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वो हिलने-डुलने लायक भी नहीं रहते हैं. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी के कारण बच्चे धीरे-धीरे इतने अक्षम हो जाते हैं कि उन्हें सांस तक लेने के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ जाती है.

कितनी खतरनाक है बीमारी?
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 काफी खतरनाक बीमारी है. इस बीमारी के लिए जिम्मेदार जीन शरीर में तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण करने के लिए रोकते हैं या बाधित करते हैं. जिसके परिणामस्वरूप तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है और पीड़ित बच्चों की मौत हो जाती है.

क्या है इलाज?
इस बीमारी के लिए खास इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है. इस खास इंजेक्शन को अमेरिका से मंगाया जाता है. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत है इसकी कीमत. इस इंजेक्शन की कीमत करीब 17 करोड़ रुपये है. यह इंजेक्शन बच्चों की मांसपेशियों को कमजोर कर उन्हें हिलने-डुलने और सांस लेने में समस्या पैदा करने वाले जीन को निष्क्रिय कर देता है. साथ ही यह तंत्रिका कोशिकाओं के लिए जरूरी प्रोटीन का उत्पादन शुरू कर देता है. इसके बाद बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य रूप से होने लगता है. इस इंजेक्शन का नाम जोलजेस्मा (Zolgensma) है.

Tags: Child Care, Disease, Health News



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