फ्रांस के वित्त विभाग के महानिदेशक इमैनुअल मोउलिन ने कहा कि हम अन्य कर्जदाता देशों के साथ समन्वय करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कर्ज देने वाले देशों को एक समन्वित तरीके से कर्ज को रिस्ट्रक्चर करना शुरू करना चाहिए ताकि पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके। इससे पहले पिछले महीने आईएमएफ ने 2.6 अरब यूरो के प्रोग्राम को मंजूरी दी थी ताकि श्रीलंका सात दशक में आए सबसे बड़े आर्थिक संकट से निकल सके।
राष्ट्रपति राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा
श्रीलंका की मदद के लिए भारत भी आगे आया है। भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम मानते हैं कि कर्ज के पुर्नगठन में इस तरह का सहयोग सभी कर्जदाताओं के व्यवहार में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे पहले श्रीलंका में भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था। फ्रांस, जापान और भारत बिना किसी देरी के चर्चा शुरू करने जा रहे हैं।
श्रीलंका सरकार को उम्मीद है कि वह मई तक एक डील को हासिल कर लेगी। श्रीलंका पर दुनिया के कई देशों का कुल 6.4 अरब यूरो कर्ज है। इसमें सबसे ज्यादा कर्ज चीन का है। चीन का कर्ज श्रीलंका के कुल विदेशी कर्ज का 10 प्रतिशत है। जापान के वित्त मंत्री ने कहा है कि फ्रांस और दो अन्य एशियाई देशों के इस पहल से अन्य कर्जदाता देश उत्साहित होंगे और श्रीलंका के कर्ज संकट पर बात करेंगे।
चीन भारत के खिलाफ चल रहा है चाल
जापानी मंत्री ने कहा कि अगर चीन इसमें शामिल होता है तो यह बहुत अच्छा कदम होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के कदम में उसका निजी हित छिपा हुआ है। चीन श्रीलंका को मदद के नाम पर मदद नहीं कर रहा है। चीन कर्ज के जाल में फंसाकर श्रीलंका में रेडॉर स्टेशन स्थापित करना चाहता जिससे भारत और अमेरिका दोनों को ही खतरा है।