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ग्वालियर. मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक ग्वालियर शहर की प्राचीनता यहां मौजूद इमारतों से ही नहीं, बल्कि यहां के खानपान में भी झलकती है. जहां ऐतिहासिक इमारतें इस शहर की गौरव गाथा का बखान करती हैं. वहीं, शहर की गलियां में अनोखे व्यंजनों के स्वाद भी पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं. इन्हीं में से एक दुकान है छोटे लाल की कचौड़ी जो मशहूर है.यहां रोजाना नाश्ता करने के लिए आने वाले लोगों का कहना है, कि यह दुकान बहुत ही पुरानी है लेकिन इनके स्वाद में कोई बदलाव महसूस नहीं किया गया है.वहीं दूसरी ओर दुकान का संचालन पूरा परिवार मिलकर करता है.
शहर के राम मंदिर के पास स्थित छोटेलाल की कचौड़ी की दुकान बेहद मशहूर है.इस दुकान के खास स्वाद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है यहां सुबह से ही नाश्ता करने वालों की भीड़ जमा हो जाती है.दुकान का संचालन कर रहे अशोक कुशवाह ने बताया कि यह दुकान लगभग 70 से 80 वर्ष पुरानी है. उन्होंने बताया कि उनसे पहले उनकी चार पीढ़ियां इसी दुकान में काम करती थीं. पहले यहां पर गजक बनाने का काम होता था. बाद में नाश्ते का काम शुरू कर दिया गया. जिसमें समोसा, कचौड़ी और बिड़ई एवं इमरती बनाई जाने लगी. जो लोगों को इतनी पसंद आई की ग्वालियर ही नहीं ग्वालियर से बाहर से आने वाले लोग भी उनका नाश्ता करते हैं. दुकान पर इमरती बनाने वाले कारीगर राम अवतार ने बताया कि वे बीते 40 वर्षों से इस दुकान पर काम कर रहे हैं.
उन्होंने यहीं पर काम करना सीखा था और वर्तमान में उनका हाथ इतना रम चुका है, कि वे दूसरे व्यक्ति से बात करते करते भी इमरती बनाते रहते हैं. दुकान पर नाश्ता कर रहे एक बुजुर्ग ने बताया कि उनका नाम अशोक चौरसिया है और भी बीते 25 वर्षों से यहां नाश्ता करने आ रहे हैं. लेकिन इनके स्वाद में बिल्कुल भी फर्क नहीं आया है.
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FIRST PUBLISHED : January 03, 2023, 19:16 IST
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