Sunday, December 15, 2024
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Subhash Chandra Bose Jayanti 2023 : नेताजी की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ कल, शेयर करें उनके प्रेरक विचार


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Subhash Chandra Bose Jayanti 2023, Netaji Quotes, Messages Photos : कल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती है। देश के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख और सबसे चर्चित नायकों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 2021 से पराक्रम दिवस के तौर पर मनाई जा रही है। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा….! जय हिन्द। जैसे जोशीले नारों से आजादी के संघर्ष में नई ऊर्जा पैदा करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। नेताजी के जीवन के सिद्धांत और कठोर त्याग भी भारत के प्रत्येक नागरि के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने सिंगापुर के टाउन हाल के सामने सुप्रीम कमांडर के रूप में भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) को संबोधित करते हुए ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया था। गांधीजी को राष्ट्रपिता कहकर सुभाष चंद्र बोस ने ही संबोधित किया था। 

आगे देखिए उनके जीवन से जुड़ी खास बातें और फौलादी विचार-

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन की खास बातें:

नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनके परिवार में 9 वें नंबर के बच्चे थे। नेताजी उनके बचपन के दिनों से ही एक विलक्षण छात्र थे, और अतुलनीय राष्ट्रप्रेमी भी। भारतीय सिविल सेवा परीक्षा भी पहले प्रयास में पास कर ली थी। सिविल सेवा परीक्षा में उनकी रैंक 4 थी। नेताजी ने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय सिविल सेवा की आरामदेह नौकरी ठुकरा दी थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि, वे भारत की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। नेताजी के कॉलेज के दिनों में एक अंग्रेजी शिक्षक के भारतीयों को लेकर आपत्तिजनक बयान पर उन्होंने खासा विरोध किया, जिसकी वजह से उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था। 1921 से 1941 के बीच नेताजी को भारत के अलग-अलग जेलों में 11 बार कैद में रखा गया था।

1941 में उन्हें एक घर में नजरबंद करके रखा गया था, जहां से वे भाग निकले थे। नेताजी कार से कोलकाता से गोमो के लिए निकल पड़े थे। वहां से वे ट्रेन से पेशावर के लिए चले गए थे और वहां से वह काबुल – पहुंचे और फिर काबुल से जर्मनी रवाना हुए जहां उनकी मुलाकात अडॉल्फ हिटलर से हुई। द्वितीय विश्व युद्ध  के दौरान 1 सितंबर 1942 उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी (INA) की स्थापना की थी जिसमें करीब 43000 सैनिक थे।

1943 में बर्लिन में रहते हुए नेताजी ने आजाद हिंद रेडियो और फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना की थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी की कई बातों और विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते थे, और इस पर उनका मानना था कि हिंसक प्रयास के बिना भारत को आजादी नहीं मिलेगी। नेताजी का ऐसा मानना था कि अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए एक सशस्त्र क्रांति की जरूरत है।



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