Home Life Style Sutak Kaal: सूतक और पातक काल क्या है? जन्म और मृत्यु से है इनका संबंध, जानें ये कब-कब होते हैं लागू

Sutak Kaal: सूतक और पातक काल क्या है? जन्म और मृत्यु से है इनका संबंध, जानें ये कब-कब होते हैं लागू

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Sutak Kaal: सूतक और पातक काल क्या है? जन्म और मृत्यु से है इनका संबंध, जानें ये कब-कब होते हैं लागू

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हाइलाइट्स

सूतक और पातक काल के दौरान धार्मिक कार्य पूर्णतः प्रतिबंधित होते हैं
नवजात शिशु के जन्म में लगे नियम को सूतक काल कहा जाता है

Sutak And Patak kaal: सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण में लगने वाले सूतक काल से आप सब भली-भांति परिचित होंगे. इसे भारत में बहुत गंभीरता से लिया जाता है. सूतक काल के दौरान मंदिरों के पट बंद रहते हैं. इस दौरान देवी-देवताओं की पूजा नहीं की जाती. इसके अलावा सूतक काल में कई अन्य काम भी वर्जित होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं की ग्रहण के अलावा जन्म और मरण से भी सूतक और पातक का संबंध होता है. आइए दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं कि सूतक और पातक क्या है और ये कब कब लागू होते हैं.

हिंदू सनातन धर्म से जुड़ी परंपराओं में जीवन जीने के कई सिद्धांतों और नियमों के बारे में बताया गया है. इन्हीं में से घर में किसी की मृत्यु हो जाने और घर में किसी नवजात के जन्म होने से जुड़े नियम हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जन्म और मृत्यु के दौरान सूतक और पातक जैसे नियमों का पालन किया जाता है. शास्त्रों में किसी परिजन की मृत्यु पर शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए पूरे 13 दिनों तक पातक होता है. ठीक इसी प्रकार घर में किसी नवजात के जन्म होने पर सूतक होता है. हालांकि, अलग-अलग जगह इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं.

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सूतक क्या है?
सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के अलावा घर में नए सदस्य के आगमन अर्थात शिशु के जन्म होने के बाद कुछ दिनों के लिए सूतक होता है. इस दौरान घर पर कोई धार्मिक कार्य जैसे पूजा-पाठ करना, मंदिर जाना, किसी धार्मिक स्थानों पर जाना आदि वर्जित माने जाते हैं. शास्त्रों में घर पर नवजात के जन्म की इस अवधि को सूतक कहा गया है. हालांकि, अलग-अलग क्षेत्रों में जन्म के पश्चात होने वाले इस सूतक को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जैसे महाराष्ट्र में इसे वृद्धि, राजस्थान में सांवड़ और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार आदि उत्तरी राज्यों में सूतक के नाम से जाना जाता है.

पातक क्या है?
जिस तरह शिशु के जन्म के पश्चात घरवालों को सूतक लगता है, उसी तरह घर पर किसी परिजन की मृत्यु होने पर पूरे 13 दिनों तक पातक लगता है. इस अवधि में धर्म-कर्म जैसे कार्य करना वर्जित होता है. साथ ही इस दौरान किसी बाहरी व्यक्ति के घर आना-जाना या किसी समारोह में शामिल होना भी वर्जित होता है. इसे ही पातक कहा जाता है. इस दौरान घरों में अन्य कई नियम भी किए जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार पातक काल के दौरान नियमों का पालन किया जाता है.

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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Dharma Culture

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