Swami Vivekananda Jayanti Speech : भारत के महान पुरुषों में से एक महान विचारक स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन भारत में हर साल 12 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन को देश भर में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। भारत सरकार हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस को बड़े स्तर पर मनाती है। इस बार केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा कर्नाटक सरकार के सहयोग से 12 से 16 जनवरी तक कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ में 26वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर 12 जनवरी को कर्नाटक के हुबली में इस वर्ष के राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। इस वर्ष युवा दिवस की थीम ( national youth day 2023 theme ) ‘विकसित युवा विकसित भारत’ है।
देश भर में महोत्सव की अवधि के दौरान युवाओं की भागीदारी के साथ बड़ी संख्या में गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी। अगर इनमें भाषण या निबंध प्रतियोगिता होती है तो आप यहां से उदाहरण ले सकते हैं।
Swami Vivekananda Jayanti Speech : स्वामी विवेकानंद जयंती पर भाषण
यहां उपस्थित प्रधानाचार्य महोदय, आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों। आप सभी को मेरा प्रणाम। आज हम यहां महान चिंतक, दार्शनिक, युवा संन्यासी, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाने के जुटे हैं। मैं भारत के महान आध्यात्मिक गुरु को नमन करता हूं और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। साथियों! आज देश में स्वामी विवेकानंद की जयंती के साथ साथ राष्ट्रीय युवा दिवस भी मनाया जा रहा है। दरअसल स्वामी विवेकानंद के विचारों, उनकी दी गईं शिक्षाओं से करोड़ों युवा प्रेरित होते हैं। स्वामी विवेकानंद की कही गई बातें युवाओं में जोश भरने का काम करती हैं। उनकी युवावस्था देश के हर युवा के लिए एक बेहतरीन मिसाल है। यही वजह है भारत सरकार ने उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया। साल 1985 में भारत सरकार ने स्वामी जी के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया।
स्वामी विवेकानंद बचपन से ही काफी कुशाग्र बुद्धि वाले और जिज्ञासु थे। लेकिन वह परमेश्वर की प्राप्ति के लिए काफी लालायित रहते थे। ईश्वर को जानने के लिए वह काफी उत्सुक रहते थे। रामकृष्ण परमहंस से मिलने के बाद उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता चला गया। श्री रामकृष्ण को अपना आध्यात्मिक गुरु मानने के बाद वह स्वामी विवेकानंद कहे जाने लगे। साथियों, विवेकानंद जी का जीवन हमें गुरु का मान सम्मान करना भी सिखाता है। स्वामी विवेकानंद एक सच्चे गुरुभक्त भी थे क्योंकि तमाम प्रसिद्धि पाने के बाद भी उन्होंने सदैव अपने गुरु को याद रखा और रामकृष्ण मिशन की स्थापना करते हुए अपने गुरु का नाम रोशन किया।
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स्वामी विवेकानंद ने ही भारत के अध्यात्मवाद से दुनिया को परिचित कराया और भारत का मस्तक विदेशों में ऊंचा किया। विवेकानंद की जब भी बात होती है तो अमरीका के शिकागो की धर्म संसद में साल 1893 में दिए गए भाषण की चर्चा जरूर होती है। 1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में जब स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण ‘अमेरिका के भाईयों और बहनों’ के संबोधन से शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक सदन तालियों की आवाज से गूंजता रहा। उस दिन से भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली। उनका भाषण सबसे आखिरी था। सिर्फ 30 साल के विवेकानंद ने हिंदुत्व के नजरिए से दुनिया को भाइचारे का पाठ पढ़ाया था। इस संन्यासी के धर्म संसद में दिए गए भाषण से पूरी दुनिया मंत्र मुग्ध हो गई थी।
स्वामी विवेकानंद जयंती पर दे सकते हैं यह आसान भाषण
स्वामी विवेकानंद संन्यासी होने के साथ-साथ अच्छे व शानदार वक्ता भी दे। उन्होंने प्राचीन धर्म ग्रंथों की बातों को बेहद आसान भाषा में पूरी दुनिया के लोगों तक पहुंचाए। इसलिए उनकी बातें आज भी प्रासंगिक बनी हुई हैं। उन्होंने सनातन धर्म, वेदों तथा भारतीय ज्ञान शास्त्र को विश्व में काफी ख्याति दिलायी।
स्वामी जी कहते थे कि ‘उठो और जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।’ उनका मानना था कि जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी। साथियों, आज युवा दिवस के मौके पर हम सभी न सिर्फ उन्हें याद कर श्रद्धांजिल दें, बल्कि हम उनके दिए ज्ञान, बातों, सीखों व चरित्र के एक छोटे से हिस्से को अपने जीवन में भी उतारें। यदि हम सभी उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के छोटे से हिस्से को भी अपने जीवन में उतार दें, तो हमें सफल होने से कोई नही रोक सकता है।
अंत में आप सभी का धन्यवाद करता चाहता हूं कि आप सभी ने मुझे इस मंच से महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर दिया। जय हिन्द। जय भारत।