इंदौर. स्वच्छता से तो इंदौर को नई-नई पहचान मिली है, पर अपने जायके को लेकर शहर पहले से मशहूर रहा है. यहां के पोहे (Indori Poha) की धूम देश भर में है तो सर्राफा बाजार की चाट (Chatori Chat) खासी प्रसिद्ध है. इन सबके साथ इंदौर में बम की कचौरी अपनी एक अलग पहचान रखती है. इसका नाम सुनते ही इंदौरियों के मुंह में पानी आ जाता है. जी हां बद्रीभैया की बम की कचौरी (Badri Bhaiya ki Kachori) अपने खास स्वाद की वजह से 1962 से लोगों की पहली पसंद बनी हुई है.
यह कचौरी आज भी सिगड़ी (अंगीठी) पर बनाई जाती है. इसे बनाने वाले सारे कारीगर एक ही परिवार के सदस्य हैं. 60 के दशक में बद्री ने अपनी पत्नी भंवरीबाई के साथ मिलकर घर मेंही कचौरी बनाना शुरू किया था, जिसे बद्रीलाल साइकिल पर बेचा करते थे. बद्री लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ‘बम’ कहकर आवाज लगाते थे. धीरे-धीरे कचौरी की पहचान ही बम कचौरी के नाम से हो गई, जो आज तक कायम है. आगे चलकर इतवारिया बाजार में दुकान हो गई, तब इसे इतवारिया की कचौरी के नाम से भी जाना जाने लगा.
कचौरी बनाने के लिए सिगड़ी का उपयोग किया जाता है इसलिए इसे सिगड़ी वाली कचौरी भी कहा जाने लगा. शुरू में यह कचौरी 10 पैसे में बिकती थी जबकि आज कचौरी का भाव 15 रुपये प्रति पीस है. बद्रीलाल के तीनो पुत्र रामेश्वर, अशोक और महेश भी सिगड़ी पर बनी कचौरी का व्यापार कर रहे हैं.
अशोक बताते है कि मूंग दाल को उबालने के बाद बेसन, मालवी लाल मिर्च और घर में तैयार गरम मसाले डालकर सिगड़ी पर ही कचौरी का मसाला तैयार किया जाता है. कचौरी को मूंगफली के तेल में सिगड़ी की मध्यम आंच पर तल कर तैयार किया जाता है. इसमें कोई खास मसाला नहीं है, बस इंदौरियों के प्यार ने इस बम कचौरी को खास बना दिया है.
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FIRST PUBLISHED : February 23, 2023, 09:21 IST