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शाजापुर. मालवा को व्यंजनों का क्षेत्र कहा जाता है. इसकी प्रसिद्धि भी दूर-दूर तक फैली हुई है. मालवा के जायके में सब से खास है दाल-बाफले. इस क्षेत्र में यह रोजमर्रा का व्यंजन भी है, विशेष अवसरों का भी और धार्मिक महत्व का भी. इसका स्वाद रोजमर्रा में लोगों तक पहुंचाने का काम पिछली दो पीढ़ियों से वैष्णव भोजनालय कर रहा है. इस भोजनालय पर दाल बाफले के शौकीनों की भीड़ सुबह से शाम तक लगी रहती है.
वैष्णव भोजनालय बस स्टैंड पर स्थित है. यहां 40 रुपये में घी में तरबतर बाफले परोसे जाते हैं. लोग अपने यहां आने वाले मेहमानों का स्वागत भी इनके दाल-बाफलों से करते हैं. ऐसे लोग भी हैं जो सप्ताह में दो से तीन बार यहां भोजन करते हैं. वो कहते हैं जैसा स्वाद हमें यहां मिलता है, वैसा कहीं नहीं. इस भोजनालय के संचालक सुनील राठौर बताते हैं प्रतिदिन 100 से 150 थाली बाफले लग जाते हैं और लोग अपने घर भी पैक करवाकर ले जाते हैं.
पिछली दो पीढ़ियों से यह काम कर रहे राठौर ने बताया लंबे समय तक 20 रुपये की रही इस थाली का रेट महंगाई के मद्देनजर अब 40 रुपये हो गया है. लेकिन यहां आने वाले लोगों ने भाव को लेकर कभी कोई शिकायत नहीं की क्योंकि स्वाद ही ऐसा है. यही कारण है कि केवल शाजापुर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी वैष्णव के बाफले खाने पहुंचते हैं. राठौर ने बताया जहां तक उन्हें याद है 1975 से उनके यहां दाल-बाफले का काम शुरू हुआ. उस समय 1 रुपये में थाली उनके पिताजी लोगों को परोसते थे. दाम जरूर बढ़े लेकिन तबसे लेकर अब तक उन्होंने कभी क्वालिटी से समझौता नहीं किया.
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FIRST PUBLISHED : December 30, 2022, 15:03 IST
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