Home National TDP के शासनकाल में 3300 करोड़ रुपये का स्किल डेवलपमेंट घोटाला? CID ने शुरू की जांच

TDP के शासनकाल में 3300 करोड़ रुपये का स्किल डेवलपमेंट घोटाला? CID ने शुरू की जांच

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क्राइम इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) ने आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम (APSSDC) में 3,300 करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच शुरू कर दी है। तेलुगु देशम पार्टी के शासन के दौरान हुए इस ‘भ्रष्टाचार’ को लेकर आंध्र प्रदेश पुलिस के विभाग की ओर से यह कदम उठाया गया। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि सीआईडी ​​ने भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) के पूर्व अधिकारी अरजा श्रीकांत को नोटिस जारी किया है, जो 2016 में एपीएसएसडीसी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। यह नोटिस उस आरोपी के बयान के आधार पर भेजा गया है जिसने अदालत में सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई है।

प्रेस रिलीज के अनुसार, 2016 में टीडीपी सरकार ने बेरोजगार युवाओं को अलग-अलग स्किल की ट्रेनिंग देकर उन्हें रोजगार योग्य बनाने के लिए APSSDC की स्थापना की थी। CID की शुरुआती जांच से पता चला कि निगम के तहत परियोजना के हिस्से के रूप में तत्कालीन सरकार ने कुछ करार किए। सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया लिमिटेड और डिजाइन टेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े संघ के साथ 3,300 करोड़ रुपये की परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

समझें क्या है पूरा मामला

MoU के मुताबिक, सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया 3300 करोड़ रुपये में कौशल विकास के लिए 6 केंद्र स्थापित करने थे। साथ ही राज्य सरकार उसे कुल परियोजना लागत का लगभग 10% भुगतान करना था। शेष राशि सीमेंस और डिजाइन टेक की ओर से वहन किया जाना था। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘राज्य सरकार ने 371 करोड़ रुपये में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए सीमेंस और डिजाइन टेक को शासनादेश जारी किया। इस प्रोजेक्ट के लिए कोई टेंडर नहीं निकाला गया और यह राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी के बिना किया गया। सीएमओ ने प्रोजेक्ट को लेकर एक नोट भी भेजा था जिसमें बताया गया कि राज्य सरकार को कैसे इससे लाभ होगा।’

रिपोर्ट के मुताबिक, जांच से पता चला कि सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया और डिजाइन टेक ने इस प्रोजेक्ट पर स्वयं के संसाधनों से एक भी रुपया खर्च नहीं किया। साथ ही राज्य सरकार की ओर से दिए गए 371 करोड़ रुपये के बड़े हिस्से का गबन कर लिया गया। विज्ञप्ति में CID ​जांच के हवाले से कहा गया कि यह पैसा एलाइड कंप्यूटर्स (60 करोड़ रुपये हस्तांतरित), स्किलर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नॉलेज पोडियम, कैडेंस पार्टनर्स और ईटीए ग्रीन्स जैसी शेल कंपनियों को दिया गया। सीमेंस ग्लोबल कॉरपोरेट ऑफिस ने भी प्रोजेक्ट की आंतरिक जांच की थी। इस दौरान संकेत मिला कि प्रोजेक्ट मैनेजर ने सरकार की ओर से दिए गए धन को शेल कंपनियों के जरिए निकाल लिया।



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