टीटीपी के बनाए ‘रक्षा मंत्रालय’ का नेतृत्व मुफ्ती मुजाहिम के हाथ में है। मुफ्ती मुजाहिम अमेरिकी विदेश मंत्रालय की आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल है। यह मंत्रालय दो जोन में बंटा हुआ है, नॉर्थ और साउथ। इसमें पेशावर, मलकंद, मर्दन, डेरा इस्माइल खान, बन्नू, कोहाट और झोब जैसे इलाके शामिल हैं। एक ‘स्पेशल इस्तिशादी फोर्स’ भी इस मंत्रालय का हिस्सा है जिसमें सुसाइड बॉम्बर्स का एक पूरा बेड़ा शामिल है।
अफगानिस्तान जैसा होगा पाकिस्तान का हाल?
टीटीपी के खुफिया निदेशालय का प्रमुख नूर वली महमूद है। दारुल कजा में 20 और दारुल इफ्ता में 14 सदस्य हैं। ‘द खोरासन डायरी’ के को-फाउंडर निजामुद्दीन खान टीटीपी की इन नियुक्तियों को अफगान तालिबान से जोड़कर देख रहे हैं। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘जैसे अल कायदा ने अल शबाब के सोमालिया पर कब्जे करने की क्षमता की घोषणा की थी, जिस तरह अफगान तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, ठीक उसी तरह टीटीपी ने भी पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के लिए घोषणाएं की हैं।’
पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना टीटीपी
पाकिस्तान सरकार के लिए टीटीपी सबसे बड़ा खतरा है। पिछले महीने जब जनरल बाजवा पाकिस्तानी सेना की कमान नए प्रमुख असीम मुनीर को सौंप रहे थे तब तहरीक-ए-तालिबान ने जून में किए गए संघर्ष विराम समझौते को रद्द करने का ऐलान कर दिया। टीटीपी ने मुनीर को सीधी धमकी देते हुए अपने लड़ाकों से कहा कि पाकिस्तानी सेना मुजाहिदीन के खिलाफ अभियान चला रही है इसलिए यह जरूरी है कि देश में जहां हो सके, हमला करें।