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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस ( पीओपी) की संख्या बढ़ाने को लेकर इनकी भर्ती के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से आवेदन मांगे हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों में इनकी नियुक्ति जल्द होगी। यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने कहा कि प्रोफेसर ऑफ पैक्टिस की भर्ती के जरिए आयोग शैक्षणिक संस्थानों तक इंडस्ट्री और एक्सपर्ट्स को लाना चाहता है। इनकी भर्ती के लिए 40 से ज्यादा नोटिफिकेशन प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पोर्ट्ल पर जारी किए जा चुके हैं।
कुछ माह पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों से कहा था कि अपने संबंधित संस्थानों में प्रोफेशनल्स और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की सेवा “प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के तौर पर लेने के लिए जरूरी कदम उठाएं। दरअसल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा को स्किल बेस्ट एजुकेशन से जोड़ने पर जोर दिया गया है। इसलिए यूजीसी पीओपी के जरिए उच्च शिक्षा में प्रैक्टिशनर, पॉलिसी मेकर्स, स्किल प्रोफेशनल्स की एंट्री कराकर इसका स्तर सुधारना चाहता है। विभिन्न क्षेत्रों के प्रोफेशनल्स और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाएंगे।
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जिन व्यक्तियों की अपने विशिष्ट पेशे में कम से कम 15 साल की सेवा या अनुभव के साथ विशेषज्ञता है, वे ‘प्रोफेसर्स आफ प्रैक्टिस’ के लिए पात्र होंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, सिविल सेवा और सशस्त्र बलों जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ इस श्रेणी के अंतर्गत नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। इसके लिए यूजीसी नेट या पीएचडी डिग्री की जरूरत नहीं है।
पीओपी कॉन्ट्रेक्ट शुरू में एक वर्ष तक के लिए हो सकता है। किसी संस्थान में पीओपी की सेवा की अधिकतम अवधि तीन वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए और असाधारण मामलों में इसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। किसी भी सूरत में कुल सेवा अवधि चार वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
आपको बता दें कि मई में यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की भर्ती के लिए ऑनलाइन पोर्टल https://pop.ugc.ac.in/home लॉन्च किया था।