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Ugram Rifle: साल 2024 के शुरुआती 10 दिनों में ही भारत ने रक्षा क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। खबर है कि डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी DRDO ने महज 100 दिनों के अंदर ही घातक राइफल तैयार कर दी है। इसे ‘उग्रम’ नाम दिया गया है। इसे तैयार करने की प्रक्रिया में हैदराबाद की निजी कंपनी द्वीप आर्मर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का भी सहयोग रहा।
कितनी घातक है उग्रम राइफल
INSAS राइफल की तरह 5.62 एमएम कैलिबर राउंड्स के मुकाबले ये राइफल 7.62 कैलिबर एमएम कैलिबर का इस्तेमाल करेगी। यह खूबी इसे और भी घातक बनाती है। इसकी रेंज 500 मीटर तक यानी फुटबॉल के लगभग 5 मैदानों जितनी होगी। साथ ही इसका वजन महज 4 किलोग्राम होगा। इसे सेना के GSQR यानी जनरल स्टाफ क्लालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स के हिसाब से तैयार किया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राइफल को 100 दिनों के अंदर तैयार कर लिया गया है। अखबार से बातचीत में ARDE निदेशक ए राजू ने बताया, ‘यह बेहद खास उपलब्धि है। हम ऐसा इसलिए कर सके, क्योंकि हमारी डिजाइन पहले से ही तैयार थी।’
कहा जा रहा है कि बलों में असॉल्ट राइफल्स की कमी के चलते इस प्रोजेक्ट का स्कोप काफी ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते AK-203 राइफल्स के आयात पर खासा असर पड़ा है।
एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि DRDO की पुणे स्थित प्रयोगशाला, आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) में विकसित इस हथियार को भारतीय सेना की चार किलोग्राम से कम वजन वाली राइफल की ‘GSQR’ (जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट) को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। 7.62 x 51 एमएम की असॉल्ट राइफल के प्रोटोटाइप का अनावरण राजू की उपस्थिति में महानिदेशक (आर्ममेंट एंड कॉम्बैट इंजीनियरिंग क्लस्टर) डॉ. एसवी गाडे ने किया। राजू ने कहा कि यह डीआरडीओ और एआरडीई के लिए एक ‘यादगार क्षण
है।
एक विज्ञप्ति में उनके हवाले से कहा गया है, ‘हम पिछले दो-तीन वर्षों से असॉल्ट राइफल के डिजाइन पर काम कर रहे हैं और डीवीपा आर्मर इंडिया लिमिटेड की मदद से हम रिकॉर्ड समय में इस उत्पाद को तैयार कर सके। यह हथियार पूरी तरह से स्वदेशी है और समान क्षमता वाले हथियारों के अंतरराष्ट्रीय मानकों से मेल खाता है।’
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)