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हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस अब बड़े मिशन में जुट गई है। इसकी शुरुआत इसी साल के आखिर तक होने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव से होगी। इसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए जुटने का प्लान है, लेकिन इसमें बड़ा बदलाव यह होगा कि प्रियंका गांधी देश भर में अहम भूमिका में दिखेंगी। अब तक यूपी की प्रभारी महासचिव के तौर पर काम करने वालीं प्रियंका गांधी ने हिमाचल और कर्नाटक में खूब प्रचार किया था। दोनों राज्यों में मिली जीत का क्रेडिट भी पार्टी राहुल गांधी के साथ ही उनको भी दे रही है।
यही वजह है कि अब प्रियंका गांधी को यूपी की जिम्मेदारी से मुक्त कर पूरे देश में लोकसभा चुनाव से जोड़ने पर है। इससे पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी उनकी सक्रियता काफी ज्यादा होगी। प्रियंका गांधी को यूपी से हटाया जाएगा तो उनकी जगह पर दीपेंदर हुड्डा, भंवर जितेंद्र सिंह, तारिक अनवर, हरीश रावत जैसे किसी नेता को जिम्मा मिल सकता है। प्रियंका गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही यूपी का प्रभारी बनाया गया था। यहां वह 2019 और 2022 दोनों में ही कोई प्रभाव नहीं छोड़ सकीं। हालांकि उनके प्रयोगों से पार्टी को चर्चा जरूर मिली।
12 जून को मध्य प्रदेश से करेंगी अभियान की शुरुआत
पार्टी मानती है कि यूपी में तो संगठन कमजोर होने के चलते प्रियंका असर नहीं छोड़ सकीं। लेकिन उन्होंने हिमाचल और कर्नाटक में असर दिखाया है। प्रियंका गांधी की बढ़ी जिम्मेदारी की शुरुआत मध्य प्रदेश से 12 जून को होने वाली है। यहां वह जबलपुर में एक बड़ी रैली को संबोधित करेंगी। इसके साथ ही राज्य में कांग्रेस चुनाव प्रचार की शुरुआत कर देगी। मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने कहा कि प्रियंका गांधी पहले मां नर्मदा की पूजा करेंगी, फिर वह रैली को संबोधित करेंगी। इसके बाद वह शहीद स्मारक पर एक रैली को संबोधित करेंगी।
क्यों प्रियंका गांधी को आगे बढ़ाने पर ही जोर दे रही कांग्रेस
प्रियंका गांधी को राजस्थान और छ्त्तीसगढ़ में भी सक्रिय किया जाएगा। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि महिला होने के नाते पीएम नरेंद्र मोदी समेत तमाम भाजपा नेताओं के लिए उन पर हमले करना मुश्किल होता है। इसके अलावा राहुल गांधी के बाद कार्यकर्ताओं में भी जिस नेता की डिमांड है, वह प्रियंका गांधी ही हैं। हिमाचल में तो राहुल गांधी ने ज्यादा प्रचार नहीं किया था, लेकिन प्रियंका गांधी ने काफी वक्त दिया था। पहाड़ी राज्य में मिली जीत के बाद से ही प्रियंका गांधी का कद बढ़ाने की चर्चाएं चलने लगी थीं। फिर कर्नाटक में जीत के बाद से इसने और जोर पकड़ा है। हालांकि उनके रोल के बारे में राहुल गांधी ही आखिरी फैसला लेंगे।