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करीब चार दशक पुराना मिथक मेरठ नगर निगम के चुनाव में टूट गया। चार दशक से मेरठ नगर निगम में मिथक था कि जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार रही तो नगर निगम में उस पार्टी के मेयर नहीं बने। 2023 के चुनाव में यह मिथक टूट गया। प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। अब नगर निगम में मेयर हरिकांत अहलूवालिया के नेतृत्व में भी भाजपा का बोर्ड काम करेगा। ऐसा चार दशक बाद होने जा रहा है।
1989 में पहले मेयर अरुण जैन के समय भी प्रदेश में सरकार दूसरी थी। उसके बाद 1995 में जब अय्यूब अंसारी मेयर बने। 2000 में शाहिद अखलाक, 2006 में मधु गुर्जर, 2012 में हरिकांत अहलूवालिया और 2017 में सुनीता वर्मा मेयर बनीं, लेकिन प्रदेश की सरकार दूसरे दल और निगम की सरकार दूसरे दल की ही रही। अब मेरठ नगर निगम और प्रदेश की सरकार दोनों एक ही दल की रहेगी।
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नगर निगम कब कौन रहा मेयर
– 1989 में महापालिका थी। तब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अरुण जैन चुनाव जीते। तब पार्षद मेयर चुनते थे।
– 1995 में नगर महापालिका के 60 वार्ड थे। नगर प्रमुख का यह पहला चुनाव जनता की वोट से हुआ। बसपा प्रत्याशी अयूब अंसारी नगर प्रमुख चुने गए।
– वर्ष 2000 में सीमा विस्तार हुआ और 70 वार्ड बन गए। बसपा के हाजी शाहिद अखलाक महापौर बने।
– वर्ष 2006 में नगर निगम के 80 वार्ड हुए। भाजपा की पिछड़ा वर्ग से मधु गुर्जर रिकार्ड मतों से महापौर बनीं।
– वर्ष 2012 में पिछड़ा वर्ग से भाजपा के हरिकांत अहलूवालिया महापौर बने।
-2017 में 90 वार्ड में चुनाव हुआ। एससी कोटे से बसपा की सुनीता वर्मा महापौर चुनी गईं।
पहली बार ट्रिपल इंजन सरकार
मेरठ नगर निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि नगर निगम, प्रदेश और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार में काम होगा। इससे पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ था।
सीएम ने कहा था मेयर साहब
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिमखाना मैदान की सभा में ही भाजपा के नवनिर्वाचित मेयर हरिकांत अहलूवालिया को मेयर साहब नाम से संबोधित कर दिया था। अब मतगणना के बाद वह सही में मेयर बन गए।