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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को केंद्र के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा को संबोधित किया। अमित शाह ने देश की प्रगति के लिए “17 घंटे काम करने” के लिए पीएम की सराहना करते हुए कहा, “यह अविश्वास प्रस्ताव ऐसा है जहां न तो लोगों और न ही सदन को सरकार पर अविश्वास है।” इस दौरान शाह ने अविश्वास प्रस्ताव के तीन उदाहरण दिए।
तीन अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र
अमित शाह ने कहा कि विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा, “चाहे विपक्ष का उद्देश्य कोई भी हो, लेकिन विपक्ष का अधिकारी है अविश्वास प्रस्ताव लाना। मैं तो मानता हूं कि कई बार अविश्वास प्रस्ताव से पार्टियों के और गठबंधनों के चरित्र उजागर होते हैं। कई अविश्वास प्रस्ताव पहले भी आए लेकिन मैं तीन अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र जरूर करना चाहूंगा।”
“नरसिम्हा राव जी को जेल हुई”
शाह ने कहा, “इनमें से दो अविश्वास प्रस्ताव यूपीए सरकार के खिलाफ हैं जो भाजपा विपक्ष में थी तब लेकर आई थी। एक अविश्वास प्रस्ताव एनडीए सरकार के खिलाफ है जब वे विपक्ष में तब लेकर आए थे। 1993 जुलाई में नरसिम्हा राव जी की कांग्रेस की सरकार थी। उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। अब सरकार बचानी होती है, नरसिम्हा राव जी को सरकार बचानी थी। कांग्रेस का मूल सिद्धांत है येन केन प्रकारेण, सत्ता में बने रहना, सत्ता में बने रहने का प्रयास करना। न इनका कोई सिद्धांत होता है, न नीतियां होती हैं और न कोई औचित्य होता है।” शाह ने कहा, “नरसिम्हा राव की सरकार अविश्वास प्रस्ताव जीत गई, और बाद में कई लोगों को जेल की सजा हुई। स्वयं नरसिम्हा राव जी को जेल हुई क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को घूस देकर अविश्वास प्रस्ताव पर विजय प्राप्त की। अब कांग्रेस भी वहां बैठी और झारखंड मुक्ति मोर्चा भी वहां (एक साथ) बैठा है।”
अमित शाह ने दूसरे अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा, “2008 में मनमोहन सरकार विश्वास प्रस्ताव लेकर आई क्योंकि ऐसा माहौल था कि इनके पास बहुमत नहीं है और बहुमत था भी नहीं। उस वक्त सबसे कलंकित घटना देखी गई, सांसदों को करोड़ों रुपये की घूस दी गई। हालांकि, तब सरकार को बचा लिया गया था। यूपीए का चरित्र यह है कि अविश्वास प्रस्ताव आए या विश्वास प्रस्ताव लाना पड़े, इससे बचने के लिए सारे सिद्धांत, चरित्र, कानून और परंपरा को त्याग सत्ता को संभालना होता है।”
“एक वोट से हारे प्रस्ताव”
इसके बाद अमित शाह ने अपनी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “अटल जी की सरकार थी, हमारी सरकार थी और उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया। कांग्रेस ने जो किया, वह हम भी कर सकते थे। घूस देके सरकार बचा सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। अटल जी ने अपनी बात रखी और कहा कि संसद का जो फैसला है वह माना जाए। इसके बाद सिर्फ एक वोट से सरकार चली गई। UPA की तरह हम भी सरकार बचा सकते थे, लेकिन कई बार ऐसे प्रस्ताव के वक्त गठबंधनों का चरित्र उजागर होता है। परिणाम क्या हुआ? फिर बहुमत से अटल जी की सरकार आई।”
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