शुभंकर प्रत्यूष पाठक उन खुशकिस्मत उम्मीदवारों में से एक हैं, जिन्होंने अपने पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा कर 11वीं रैंक हासिल की है। UPSC ने साल 2023 की परीक्षा के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगर आप भी यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं और परीक्षा देने वाले हैं, तो शुभंकर प्रत्यूष पाठक की कहानी से आप प्रेरणा ले सकते हैं।
शुभंकर प्रत्यूष पाठक मूल रूप से बिहार के पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) जिले का रहने वाले हैं। हालांकि उन्होंने अपने पिता की पोस्टिंग के कारण अपना अधिकांश जीवन कोलकाता और दिल्ली में बिताया है।
उन्होंने नई दिल्ली के संस्कृति स्कूल से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। IIT-JEE के लिए अपने पहले प्रयास के दौरान असफल होने पर उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा था। वह IIT में पढ़ना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने ड्रॉप ईयर लेने और फिर से तैयारी करने का फैसला किया। अपने दूसरे प्रयास में यानी साल 2016 में JE परीक्षा पास की और 2020 में IIT(ISM) धनबाद से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। बता दें, शुभंकर ने अपने थर्ड ईयर में सिस्को सिस्टम्स में अपनी इंटर्नशिप पूरी कर ली थी और उन्हें प्री-प्लेसमेंट ऑफर (पीपीओ) से सम्मानित किया गया था।
जिसके बाद वह अगस्त 2020 में सिस्को सिस्टम्स में एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में शामिल हुए और यूपीएससी सीएसई परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयारी करने के लिए फरवरी 2021 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।
UPSC को क्यों चुना?
शुभंकर ने बताया, मेरे पिता 1995 बैच के सिविल सेवक हैं। उनके करियर को बहुत करीब से देखने के बाद, मैं सेवाओं के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं, उतार-चढ़ाव के बारे में जानता था। इसके अलावा, चूंकि मैं हमेशा सरकारी क्वार्टर में रहता था, इसलिए मैं हमेशा सिविल सेवकों से घिरा रहता था।
करियर के रूप में सिविल सर्विसेज ने मुझे शुरुआत से ही आकर्षित किया. लेकिन IAS बनने की प्रक्रिया मेरे लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रही। स्कूल में सोशल साइंस विषयों में अक्सर रटने पर ध्यान देता था, लेकिन मेरी गणित बहुत अच्छी थी। इसलिए मैंने 10वीं के बाद साइंस स्ट्रीम को चुनी।
ऐसे शुरू की थी तैयारी
शुभंकर ने बताया, मैंने थर्ड ईयर में फैसला किया कि मैं पूरे मन से सीएसई की तैयारी करूंगा। मैंने टॉपर्स के कई ब्लॉग पढ़े, वीडियो देखे और किताबों की लिस्ट तैयारी की। मैंने NCERT पढ़ने की कोशिश की, लेकिन उनमें से बहुत कुछ समझ नहीं पाया। फिर मैंने शुरुआत में परीक्षा देने से पहले 1 साल तक काम करने की योजना बनाई।
जैसा कि किस्मत में था, मार्च 2020 में कोविड लॉकडाउन की घोषणा की गई। मेरी सिस्को में ज्वाइनिंग जुलाई महीने में होनी थी, लेकिन अगस्त में हुई। फिर कोविड के कारण वर्क फ्रॉम होम हो गया। इस दौरान मैंने तय कि कि ये समय यूपीएससी की तैयारी करने के लिए सबसे अच्छा रहेगा।
मैंने सीएसई के लिए अपनी सीरियस तैयारी जून 2020 में शुरू की थी, जिसकी प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 26 जून 2021 को होने वाला था।
समझ नहीं आई थी NCERT
शुभंकर एनसीईआरटी पढ़ते समय, ज्याादातर कॉन्सेप्ट को समझ नहीं पाए थे और खोया हुआ महसूस कर रहे थे। इसलिए, मुझे यकीन था कि मुझे GS के सिलेबस में मदद की आवश्यकता है। इसलिए मैंने कोचिंग क्लास लेना शुरू कर दिया था।
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं स्पष्ट करना चाहूंगा- सीएसई परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग न तो आवश्यक है और न ही पर्याप्त है। कई लोगों ने कोचिंग के बिना परीक्षा में सफलता हासिल की है और कई कोचिंग करते हुए भी परीक्षा में असफल हुए हैं। यहां तक कि अगर आप एक का ऑप्शन चुनते हैं, तो भी सेल्फ स्टडी बेस्ट है। सिर्फ कोचिंग ज्वाइन करना ही काफी नहीं है।
UPSC की तैयारी के दौरान ऐसा था शुभंकर का टाइमटेबल
उन्होंने बताया, ‘शुरू में जब मैं काम करता था तो 8-10 घंटे काम में जाता था। इसके बाद मैंने अपने कोचिंग द्वारा अपलोड किए गए कक्षाओं के रिकॉर्ड किए गए वीडियो देखता। प्रत्येक सप्ताह 2 घंटे की 2 कक्षाएं हुआ करती थीं। इन्हें रोजाना कवर करने में मुझे लगभग 3 घंटे लगते थे (क्योंकि मुझे नोट्स भी बनाने होते थे)। दिन के अंत तक मेरे पास बहुत कम समय बचा था, इसलिए ज्यादा नहीं पढ़ पाता था। मैं सुबह 5 बजे उठता था, सुबह 7 बजे तक सेल्फ स्टडी किया करता था। फिर एक घंटे अखबार पढ़ने के लिए निकालता था और उसके बाद ऑफिस के काम में लग जाता था। शाम को, जब मैं अपनी कक्षाएं समाप्त करता, तो रात को खाने के बाद अधिकतम 30-45 मिनट तक पढ़ाई करता था और लगभग 11 बजे सो जाता था। नौकरी के साथ मेरा कुछ ऐसा रूटीन था।
वहीं जब फरवरी 2021 में नौकरी छोड़ दी। इसके बाद मैं हर दिन 8-10 घंटे पढ़ाई करता था। मैंने अपने दिन को 2 हिस्सों में बांटा – पहला आधा दिन ऑप्शनल की तैयारी के लिए और दूसरा आधा दिन GS की तैयारी के लिए। वहीं जैसे-जैसे परीक्षा नजदीक आती गई, वैसे-वैसे पढ़ाई का समय भी बढ़ता गया।
शुभंकर ने दिए टिप्स
शुभंकर ने कहा, किताब को 3-4 बार पढ़ने के बाद ही नोट्स बनाएं। जब आप ऐसा करते हैं, तो बाद की रीडिंग में आपको एहसास होगा कि आपने क्या याद किया और क्या भूल गए। इसी साथ नोट करें कौनसा वह जरूरी टॉपिक है, जिसे आप अक्सर भूल जाते हैं। उसे अंडरलाइन या हाइलाइट करें और बाद में रिवाइज करते रहें।