दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविल सेवा मुख्य परीक्षा, 2023 के लिए आवेदन आमंत्रित करने के संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के फैसले पर रोक लगाने से गुरुवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कुछ सिविल सेवा अभ्यर्थियों द्वारा दायर उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें परीक्षा के लिए यूपीएससी द्वारा 10 जुलाई, 2023 को जारी डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म (डीएएफ) पर रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
न्यायमूर्ति ने कहा, ‘अर्जी खारिज की जाती है।’ यह अर्जी इस साल की शुरुआत में आयोजित प्रारंभिक परीक्षा की आंसर-की की मांग कर रहे कुछ असफल अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल याचिका का हिस्सा थी।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत से मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन आमंत्रित करने के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। वकील राजीव कुमार दुबे द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस पूरी भर्ती प्रक्रिया में आयोग के ”मनमाने” रवैये से याचिकाकर्ता व्यथित हैं। गुरुवार को याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत से मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन मांगे जाने पर रोक लगाने का आग्रह किया और कहा कि ऐसा न होने पर मुख्य याचिका निरर्थक हो जाएगी। वकील ने कहा कि यह उम्मीदवारों के लिए सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा थी।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि यह उन लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा थी जो योग्य और प्रतिभाशाली थे, न कि उनके लिए जो रिट याचिका दायर कर रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि जब मामला अदालत में लंबित है, तब यूपीएससी द्वारा मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन मांगना कानून की प्रक्रिया को खारिज करने जैसा है। उन्होंने कहा कि टाइम बीतने का हवाला देकर यूपीएससी अदालती मामलों को खारिज कराता रहा है, यह उसकी रणनीति रही है।
प्रीलिम्स मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को
इससे पहले 3 जुलाई को सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा-2023 को चुनौती देने वाली याचिका पर यूपीएससी को आपत्ति दर्ज कराने का निर्देश दिया है। जस्टिस चंद्रधारी सिंह के समक्ष आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता नरेश कौशिक ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई करने के लिए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) उचित मंच है। इसके बाद न्यायालय ने आयोग को इस बारे में आपत्ति दर्ज कराने, कानूनी पहलुओं और पूर्व का कोई फैसला बताने के लिए कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को है।
परीक्षा में शामिल 17 प्रतिभागियों की ओर से दायर याचिका में सामान्य अध्ययन पेपर एक और 2 को दोबारा से आयोजित करने का आदेश देने की मांग की गई है। साथ ही प्रतिभागियों ने 12 जून को आयोग द्वारा प्रारंभिक परीक्षा के नतीजे घोषित करने के लिए जारी प्रेस रिलीज को भी चुनौती दी है। साथ ही आयोग को तत्काल प्रभाव से उत्तर कुंजी ( UPSC Prelims Answer Key) प्रकाशित करने का निर्देश देने की मांग की गई।
याचिका में कहा गया है, ‘छात्रों को उनके द्वारा दी गई परीक्षा की उत्तर कुंजी नहीं देना, इसके लिए एक विशेष टाइम विंडो दिए जाने के बावजूद उम्मीदवारों के अभ्यावेदन पर विचार नहीं करना, और ऐसे प्रश्न पूछना, जो असंगत व अस्पष्ट हैं, केवल गेसवर्क के आधार पर उम्मीदवारों की उत्तर देने की क्षमता को चेक करना, ये सब न केवल मनमाना है बल्कि निष्पक्षता व तर्क के सभी सिद्धांतों की अवहेलना करता है।’
इसमें कहा गया है कि जब कोई प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की जाती है, तो बहुविकल्पीय प्रश्नों की उत्तर कुंजी पहले से तैयार की जाती है, ताकि परीक्षा आयोजित होने के बाद इसे जारी किया जा सके, जिससे उम्मीदवारों को मूल्यांकन का सही सही आइडिया लग जाए।
हालांकि, 12 जून के यूपीएससी के प्रेस नोट में यह कहा गया है कि सिविल सेवा परीक्षा, 2023 के अंक, कटऑफ अंक और उत्तर कुंजी आयोग की वेबसाइट यानी पर सिविल सेवा परीक्षा 2023 की पूरी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद, यानी अंतिम परिणाम घोषित होने के बाद ही अपलोड किए जाएंगे।
अन्य सभी राज्य लोक सेवा आयोग जारी करते हैं उत्तर कुंजी
याचिका में कहा गया है कि लगभग सभी राज्य लोक सेवा आयोग, आईआईटी, एनएलयू और आईआईएम, दिल्ली न्यायिक सेवा परीक्षा के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय जैसे अन्य प्राधिकरण परीक्षा के आयोजन के एक सप्ताह के भीतर अनंतिम उत्तर कुंजी जारी करते हैं और आपत्तियां आमंत्रित करते हैं। इसके बाद वे आपत्तियों के आधार पर अपनी अनंतिम उत्तर कुंजी को संशोधित करके अंतिम उत्तर कुंजी जारी करते हैं।