यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों ने सोमवार रात ओल्ड राजेंद्र नगर में विरोध प्रदर्शन किया। कड़ाके की ठंड में इन छात्रों ने रात नौ बजे तक विरोध प्रदर्शन कर अतिरिक्त अवसर प्रदान करने व आयु सीमा में छूट की मांग की। विरोध कर रहे छात्र सुभाष ठाकुर ने बताया कि हम संसद तक मार्च करना चाहते हैं। हमारी बातें नहीं मानी जा रही हैं। विरोध प्रदर्शन में ओल्ड राजेंद्र नगर, मुखर्जी नगर, मुनिरका सहित अन्य जगहों पर रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों ने हिस्सा लिया।
विरोध करने वाले छात्रों का कहना है कि कोविड-19 से उपजी स्थिति ने राजधानी सहित देश में प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्रों को सीधे प्रभावित किया है। हम लोगों ने देश के 100 से अधिक सांसदों से संपर्क किया। उन्होंने हमारे पक्ष में अपनी बात कही है। इसके अलावा इस मामले की समिति की रिपोर्ट में भी छात्रों को अवसर देने की बात कही गई है लेकिन अब तक यह अवसर उपलब्ध नहीं जा रहा है।
सुभाष ठाकुर ने कहा, ‘कोरोना महामारी के दो वर्षों (2020 और 2021) में लॉकडाउन, कोविड नियमों के अनुपालन, शिक्षण संस्थानों का बंद होने व अन्य कारणों से अभ्यर्थियों को समुचित तैयारी करने का अवसर ही नहीं मिल सका। लाखों अभ्यर्थीगण इन्हीं दो वर्षों में निर्धारित उम्र सीमा एवं अवसरों की संख्या को पार कर चुके हैं। अब वे इन परीक्षाओं में बैठने की पात्रता खो चुके हैं।’
सरकार ने पूर्व में अभ्यर्थियों को दी है छूट
प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी से हुए नुकसान की भरपाई हेतु हर वर्ग और हर क्षेत्र को कुछ न कुछ राहत अवश्य पहुंचाई है। मसलन, अग्निपथ योजना में अभ्यर्थियों को आयु सीमा में दो वर्षों की छूट तथा एसएससी जीडी के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में तीन वर्षों की छूट प्रदान कर दी गई है। यहां तक कि एसएससी सीजीएल में ‘एज रेकनिंग पॉलिसी’ में बदलाव लाने से लाखों अभ्यर्थी लाभान्वित हुए हैं, लेकिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रगण अबतक राहत से अछूते हैं। कई राज्यों ने अपने यहां आयु सीमा में छूट के साथ अवसर प्रदान किया है। यह एक ‘नीतिगत मामला’ है जो पूरी तरह से कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में है। इससे पहले भी वर्ष 1979, 1990, 1992, 2014 और 2015 में यूपीएससी के द्वारा छूट दी जा चुकी है
संसदीय समिति ने भी की है सिफारिश
अभ्यर्थियों का कहना है कि भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली ‘विभागीय संसदीय स्थायी समिति’ ने भी अपनी 112वीं रिपोर्ट में सिविल सेवा के आकांक्षियों को अतिरिक्त अवसर और आयु सीमा में छूट देने के लिए सरकार से अनुशंसा की है। समिति का कहना है कि सरकार विशेषज्ञ समिति का गठन करे जो मूल्यांकन करे।