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हाइलाइट्स
वसुंधरा राजे बनाम सतीश पूनिया राजनीतिक वर्चस्व की जंग
राजे ने सालासार में तो पूनिया जयपुर में दिखाई अपनी ताकत
दोनों खेमों का प्रदर्शन सियासी गलियारों में बना चर्चा का विषय
जयपुर. राजस्थान में 4 मार्च को एक ही दिन में बीजेपी (BJP) के दो शक्ति प्रदर्शन हुए. एक जयपुर में और दूसरा चूरू जिले में स्थित प्रसिद्ध सालासर बालाजी धाम (Salasar Balaji Dham) में. एक की अगुवाई बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) ने की तो दूसरे की वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ने. अब सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि किसका शक्ति प्रदर्शन कितना सफल रहा और किसका विफल. कौन अपने सियासी मकसद में सफल रहा और कौन विफल. इन शक्ति प्रदर्शनों को पार्टी किस चश्मे से देख रही है. किसका पलड़ा भारी हुआ और किसका हल्का. इस पर बात करने से पहले ये समझना होगा कि चुनावी साल में पार्टी के अंदर ताकत की इस नुमाइश से बीजेपी को फायदा होगा या नुकसान.
जालोर से बीजेपी कार्यकर्ता श्रवण सिह के मुताबिक वे समझ नहीं पा रहे थे कि जयपुर जाएं या सालासर. वे कहते हैं कि वे राजे के समर्थक हैं लेकिन पार्टी के फैसले के साथ. इसलिए इस बार सालासर जाने के बजाय पार्टी के रुख का इंतजार कर रहे थे. वे कहते हैं कि पूनिया और राजे के इस शक्ति प्रदर्शन के बाद भी अब तक समझ नहीं आया कि पार्टी राजस्थान में क्या फैसला करने वाली है. झुंझुनूं के ही बीजेपी कार्यकर्ता उमाशंकर भी इसी पशोपेश में न जयपुर गए और न ही सालासर. इस बीच सालासर में वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर उनको बधाई देने पहुंचे जयपुर जिले के एक विधायक ने कहा कि वे पहले जयपुर में पार्टी के विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम में शरीक हुए और फिर सालासर पहुंचे. वे कहते हैं कि जब तक पार्टी वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर फैसला नहीं करती है तब तक रिस्क नहीं ले सकते.
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पूनिया कैम्प का दावा प्रदर्शन दिनभर छाया रहा
दूसरी तरफ जयपुर में युवा मोर्चा के विरोध प्रदर्शन में शामिल बीजेपी विधायक मदन दिलावर से पूछा कि वे सालासर क्यों नहीं गए तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया कि पार्टी का आधिकारिक कार्यक्रम तो जयपुर में ही था सालासर में नहीं. दिलावर ने तंज भी कसा कि जन्मदिन की तारीख तो निश्चित होती है वह किसी भी दिन नहीं हो सकता है. दिलावर कहना चाहते थे कि राजे का जन्मदिन तो आठ मार्च को है फिर पहले मनाना शक्ति प्रदर्शन ही है. दोनों खेमों के अपने अपने दावे हैं. जयपुर में गहलोत सरकार के खिलाफ युवा मोर्चा के प्रदर्शन को सतीश पूनिया कैम्प सफल मान रहा है. उसकी वजह गिना रहा कि किस तरह चार घंटे तक लगातार बीजेपी कार्यकर्ता पुलिस से जूझते रहे. कई बेरिकेडिंग तोड़ी. लाठियां खाई. पुलिस को वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा. दिनभर न्यूज चैनल्स और मिडिया पर ये प्रदर्शन छाया रहा. 23 विधायक और सात सांसदों के प्रदर्शन में शामिल होने का दावा किया जा रहा है. पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण भी इसमें मौजूद रहे.
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राजे कैम्प के नेताओं ने किया ये बड़ा दावा
दूसरी तरफ वसुंधरा राजे कैम्प के नेताओं का दावा है कि भीड़, विधायकों, सांसदों और पूर्व विधायकों की संख्या के लिहाज से साफ है कि वसुंधरा राजे राजस्थान में बीजेपी में सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं. हालांकि विधायकों और पूर्व विधायकों के शामिल होने के राजे कैम्प के दावे और हकीकत में विरोधाभास है. राजे कैम्प का दावा है 12 सांसद, 52 विधायक और 118 पूर्व विधायक उनके समारोह में शामिल हुए. लेकिन प्रदर्शन पर निगाहे रखने वाले स्वतंत्र पर्यवेक्षकों के मुताबिक राजे के शक्ति प्रदर्शन में शामिल होने वाले विधायकों संख्या करीब 35 और पूर्व विधायक करीब 70 थे.
राजे के मकसद को लेकर उठ रहे हैं सवाल
जानकारों का कहना है कि राजे का प्रदर्शन अगर सफल भी मानें तो सवाल मकसद को लेकर है. राजे का मकसद अगर राजस्थान में विधानसभा चुनाव में पार्टी का सीएम फेस बनना है तो क्या पार्टी इस ताकत की नुमाइश के बाद राजे को राजस्थान में पार्टी का लोकप्रिय चेहरा मानकर फिर चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाएगी. या फिर राजे को चुनाव से जुड़ी कोई अहम जिम्मेदारी सौंप कर पार्टी के कैडर में ये संदेश देगी कि भले ही घोषित न करे लेकिन राजे ही राजस्थान में पार्टी के भावी सीएम का चेहरा होगी.
राजे ने पिछली बार केशवरायपाटन में किया था शक्ति प्रदर्शन
यह पहले मौका नहीं है पिछले साल भी राजे ने ऐसा ही शक्ति प्रदर्शन अपने जन्मदिन पर बूंदी के केशोरायपाटन में किया था. तब राजे को बधाई देने पहुंचने वाले विधायकों और सांसदों को संख्या इससे भी अधिक थी. इतना ही नहीं राजे ने पिछली दफा भी जन्मदिन का शक्ति प्रदर्शन मंदिर में पूजा अर्चना के साथ किया थाण् इस बार भी सालासर के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना के साथ वहां शक्ति प्रदर्शन किया. इस दफा तो टीम राजे ने एक लाख हनुमान चालीसा भी जन्मदिन पर बांटे. राजे ने यह अपने समर्थक मुस्लिम नेता यूनूस खान के हाथों बंटवाए ताकि पार्टी को संदेश दे सके कि उनके नजदीकी यूनुस खान भी हिंदुत्ववादी हैं.
बीजेपी हाईकमान वसुंधराराजे पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?
वसुंधरा राजे अच्छी तरह से जानती हैं कि बीजेपी में सत्ता और नेतृत्व का रास्ता मंदिर और हिंदुत्व से निकलता है. इसलिए राजे मंदिर प्रेम में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. जन्मदिन समारोह के बाद भी राजे की देव दर्शन यात्रा जारी रहेगी. राजे 6 मार्च को गोविंद देवजी मंदिर और फिर जैसलमेर में तनोट माता मंदिर में दर्शन के लिए जाएंगी. राजे की देव दर्शन यात्रा पिछले डेढ़ साल से चल रही है. अब सवाल यह है कि लगातार देव दर्शन और जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन के जरिये लोकप्रियता साबित करने के बावजूद बीजेपी हाईकमान वसुंधराराजे पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?
प्रभारी अरुण सिंह खुद भी बधाई देने सालासर पहुंचे
राजस्थान बीजेपी के प्रभारी अरुण सिंह खुद भी जयपुर में पार्टी के प्रदर्शन के बाद बधाई देने सालासर पहुंच गए. राजे के मंच से कह डाला कि सभी को राजे को बधाई देने आना चाहिए. लेकिन राजे के जन्मदिन समारोह मनाने की तारीख तय होने के बाद जयपुर में उसी दिन युवा मोर्चा के विरोध प्रदर्शन के फैसले को भी पार्टी हाईकमान की ही हरी झंडी माना जा रहा है. क्योंकि अरुण सिंह राजे के कार्यक्रम में जाने से पहले जयपुर के प्रदर्शन में पहुंचे.
हाईकमान वसुंधरा राजे को नाराज भी नहीं करना चाहता है
अब सवाल यह कि अगर राजे के शक्ति प्रदर्शन को पार्टी हाईकमान की भी हरी झंडी होती तो शायद जयपुर में बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया युवा मोर्चा के उसी दिन विरोध प्रदर्शन को मंजूरी न दे पाते. ऐसी उम्मीद कम है कि पार्टी नेतृत्व को पूर्व सूचना के बिना जयपुर में पार्टी के कार्यक्रम तय हुआ हो. जानकारों का दावा है कि बीजेपी हाईकमान वसुंधरा राजे को नाराज भी नहीं करना चाहता है लेकिन ताकत नुमाइश पर किसी फैसले के पक्ष में भी नहीं है.
आखिर राजे को लेकर पार्टी हाईकमान के मन में क्या है?
दरअसल बीजेपी हाईकमान राजस्थान में सीएम फेस के सभी दावेदारों को अपनी ताकत दिखाने से नही रोक रहा है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिस तरह से राजस्थान में दो रैलियां एक महीने में आयोजित की गई. उससे लग रहा है कि पार्टी पीएम मोदी के फेस पर राज्य में सामूहिक नेतृत्व से विधानसभा चुनाव लड़े. हालांकि राजस्थान को लेकर आधाकिरक फैसला पार्टी कनार्टक चुनाव के बाद कर सकती है. अभी बीजेपी की प्राथमिकता कर्नाटक चुनाव है. यह दीगर बात है कि अरुण सिंह के बयान के बाद पार्टी के विधायकों से लेकर आम कार्यकर्ताओं और नेताओं में कंफ्यूजन और बढ़ गया कि आखिर राजे को लेकर पार्टी हाईकमान के मन में क्या है?
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Tags: Churu news, Jaipur news, Rajasthan bjp, Rajasthan news, Rajasthan Politics, Satish Poonia, Vasundhra Raje
FIRST PUBLISHED : March 05, 2023, 15:26 IST
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