Home Business Venugopal Dhoot: कई देशों में कारोबार, अमीरों की लिस्ट में नाम… फिर वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत क्यों हुए बदनाम

Venugopal Dhoot: कई देशों में कारोबार, अमीरों की लिस्ट में नाम… फिर वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत क्यों हुए बदनाम

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Venugopal Dhoot: कई देशों में कारोबार, अमीरों की लिस्ट में नाम… फिर वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत क्यों हुए बदनाम

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नई दिल्ली: आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन धोखाधड़ी मामला (ICICI Bank-Videocon Loan Fraud Case) इन दिनों सुर्खियों में है। सीबीआई ने इस मामले में वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमुख वेणुगोपाल एन. धूत, आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया है। फिलहाल ये लोग सीबीआई की हिरासत में हैं। वेणुगोपाल धूत पर आरोप है कि उन्होंने चंदा कोचर और उनके कारोबारी पति दीपक कोचर के साथ मिलकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया था। महाराष्ट्र के औरंगाबाद से शुरू हुआ वीडियोकॉन का बिजनस एक समय कई देशों तक फैला था। इस कंपनी को देश में घर-घर रंगीन टीवी पहुंचाने का श्रेय जाता है। साथ ही कंपनी ने कई क्षेत्रों में अपना बिजनस फैलाया। लेकिन कई गलत फैसलों के कारण चार दशक से भी कम समय में यह ग्रुप तबाह हो गया।

नंदलाल माधवलाल धूत का ताल्लुक एक किसान परिवार से था। साथ ही उनके पास बजाज ऑटो की डीलरशिप भी थी। 1985 में उन्होंने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड की शुरूआत की। टेलीविजन, वॉशिंग मशीन और अन्य घरेलू उपकरणों के चलते वीडियोकॉन भारतीय मध्यवर्ग लोगों के बीच काफी तेजी से लोकप्रिय हुई। इस बिजनस में नंदलाल माधवलाल धूत के बेटों वेणु गोपाल, राज कुमार और प्रदीप कुमार भी मदद करने लगे। उस समय, वेणुगोपाल इंजीनियर थे। उन्होंने एक वर्ष के लिए जापान में ट्रेनिंग ली थी। उन्होंने उम्मीदों से कहीं अधिक लक्ष्य तय किए।

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कई कंपनियों के साथ डील

भारतीय और विदेशी कंपनियों ने वीडियोकॉन ग्रुप के साथ कई डील की और निवेश किया। इनमें संस्थापक वीडियोकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (वीआईएल 1986) और तोशीबा, फिलिप्स, थॉम्पसन, देवू और केल्विनेटर जैसे दिग्गजों के साथ व्यापारिक सौदे शामिल है। इसने वीडियोकॉन को कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनी बना दिया। जानकारों का कहना है कि 1990 के दशक के बाद से जैसे-जैसे ग्रुप आगे बढ़ता गया, उन्होंने कई छोटे प्लेयर्स को बाहर का रास्ता दिखा दिया। 2000 के दशक के मध्य तक सब कुछ ठीक-ठाक लग रहा था।

एक समय वीडियोकॉन के मेक्सिको, चीन, इटली और पोलैंड में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स थे। उन्होंने ब्राजील, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और ईस्ट तिमोर में ऑयल ब्लॉक्स में निवेश किया था। 2010 में उन्होंने आईपीएल की पुणे टीम को खरीदने की भी कोशिश की थी। 2015 में वह फोर्ब्स की भारतीय अमीरों की लिस्ट में 61वें नंबर पर थे। तब उनकी नेटवर्थ 1.19 अरब डॉलर थी।

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क्यों हुआ पतन

वेणुगोपाल के साथ बिजनस कर चुके एक शख्स ने कहा कि वेणुगोपाल को यह गुमान हो गया था कि वह दुनिया के टॉप पर थे और कुछ भी उन्हें प्रभावित नहीं कर सकता था। उन्होंने खुद को एक बिजनस बैरन से एक इंडस्ट्रियल टाइकून में बदल दिया। उन्होंने पेट्रोलियम, टेलिकॉम और सैटेलाइट इंटरटेनमेंट जैसे क्षेत्रों में अपना बिजनस बढ़ाया। इसके लिए वह धीरे-धीरे बैंकों से लोन लेते गए। धूत बैंकिंग मैनेजमेंट की कला में निपुण थे। उनके टॉप बैंकरों के साथ अच्छे संबंध थे। इसके चलते उन्हें आसानी से लोन मिल जाता था। उनके ऊपर 70,000 करोड़ रुपये का बैंक लोन था।

कंपनी ने फंड पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। इस कारण कंपनी एक बड़ी मुसीबत में फंस गई। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑगेर्नाइजेशन (एफआईईओ) के एक पूर्व अध्यक्ष का मानना है कि धूत के कुछ कदम ‘रोमांच’ या ‘जुए’ की तरह थे। उन्हें उम्मीद थी कि ग्रुप की मजबूत इमेज उसे तूफानों से पार पाने में मदद करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले कुछ दशकों में देश के कानूनों, बैंकिंग नियमों और अदालतों के रवैये में भारी बदलाव आया है। अब, सिस्टम पर सब कुछ दिखाई दे रहा है। बैंकरों के साथ मिलकर हेरफेर या चालाक नेताओं के पिछले दरवाजे से बाहर निकलने की कोई गुंजाइश नहीं है।

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बैंकों का कर्ज

वीडियोकॉन ग्रुप के टूटने के पहले संकेत तब मिले जब यह पेट्रोलियम और गैस, टेलिकॉम, रियल्टी, और डीटीएच जैसे नए क्षेत्रों में विफल हो गया। वहां चीजें धूत की कल्पना या नियंत्रण से परे हो गईं। डूबते जहाज का फायदा उठाते हुए, दुनिया की बड़ी कंपनियों ने कम कीमतों के साथ तेजी से प्रवेश किया। इसने वीडियोकॉन को लगभग खत्म कर दिया और इसके पास बैंकों की भारी देनदारियां रह गईं। इस बीच आईसीआईसीआई बैंक से एक लोन का खुलासा हुआ और धूत सीबीआई की हिरासत में पहुंच गए।
(आईएएनएस से इनपुट के साथ)

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