Tuesday, February 4, 2025
Google search engine
HomeNationalVikas Dubey Case: जेल से रिहा होने के बाद बोली खुशी, मां...

Vikas Dubey Case: जेल से रिहा होने के बाद बोली खुशी, मां की गोद में सिर रख सोना चाहती हूं


Vikas Dubey Case: रिहाई के बाद शनिवार को देर रात रतनपुर पनकी अपने घर पहुंची खुशी फूट-फूटकर रो पड़ी। देहरी के पैर छूकर घर में प्रवेश किया तो मां ने सीने से चिपका लिया। खुशी बोली, तीस महीने हो गए, ठीक से सोई नहीं हूं। आज मैं अपनी मां की गोद में सिर रखकर सोना चाहती हूं।

सबसे पहले उसने भाई के सात दिन के बच्चे को गोद लिया और चूमा। मां ने लड्डू खिलाकर मुंह मीठा कराया। बड़ी बहन नेहा के बच्चे शगुन और वेद के साथ खुशी थोड़ी देर तक खेलती रही। बोली, तीस महीने बेगुनाही के बाद भी जेल में डाला गया। अब राहत की सांस ले रही हूं। उसने बताया कि चार दिन जेल के बाहर पुलिस ने रखा। उन जगहों को जानती तक नहीं। उन चार दिनों में मेरे साथ जो हुआ, मैं बता नहीं सकती। कहा-आगे पढ़ाई करूंगी। एक सफल अधिवक्ता बनने का सपना है। बातों के बीच ही मां ने उसकी पसंदीदा मटर-पनीर की सब्जी व रोटी खिलाई।

बिकरू कांड के बारे में पूछने पर खुशी ने कहा कि दो जुलाई की रात गोलियों और लोगों की आवाजें आ रही थीं। अमर मेरे साथ था। गोलियों की आवाज सुनकर बाहर चला गया। फिर कहा कि अपने परिवार को ठीक से जानती तक नहीं थी। विकास दुबे को लेकर कहा कि विकास को पहली और आखिरी बार शादी के दिन ही देखा था।

हर देवी-देवता को मनाया मां

जेल से बाहर आकर खुशी मां के करीब पहुंची तो उन्होंने कहाकि बेटी दोषी होती तब जेल चली जाती तो उन्हें दुख न होता, लेकिन उनकी निर्दोष बेटी जेल भेज दी गई। उन्होंने कहा कि बेटी की रिहाई के लिए कोई देवी देवता नहीं रहा जिसकी पूजा न की हो।

खुशी बोली-कोर्ट पर भरोसा

जेल से बाहर आते ही खुशी ने कहा कि वह पूरी तरह निर्दोष है। उसे गलत तरीके से फंसा कर जेल में डाला गया। उसको कोर्ट पर पूरा भरोसा था। आज कोर्ट से बेल मिलने पर रिहा हुई है, पूरा विश्वास है कि कोर्ट से ही वह बरी भी होगी।

बेटी गले लगी तो मां की आंखों से छलका दर्द

खुशी की रिहाई के पहले ही जिला कारागार के बाहर मीडिया का जमावड़ा था। गहमा-गहमी के बीच निकल कर खुशी जैसे ही कार में बैठी मां के गले लगी उनका दर्द आखों से छलक कर बाहर आ गया। कुछ क्षणों में ही खुशी के चेहरे पर जेल से बाहर आने की खुशी नजर आई। दोपहर से ही माती जिला कारागार में मीडिया के साथ सैकड़ों लोगों का जमावड़ा था। करीब 30 महीने से खुशी की जमानत के लिए कचहरी के चक्कर काट रही मां का दर्द बेटी को सीने से लगाते ही आंखों से बह निकला। खुशी अपनी बहन नेहा व पिता के भी गले मिली।

जेल गेट पर रो पड़ीं मां

खुशी की रिहाई के आधे घंटे पहले ही उसकी मां जेल गेट पर पहुंची गई थी। वहां अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित का सामना होते ही उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर उनका आभार जताया। आंखों से आंसू बह निकले। अधिवक्ता ने उन्हें ढांढस बंधाया व कहा, आगे भी सब ठीक होगा।

बहन बोली, दर्द झेल रहे थे

खुशी की बहन नेहा शुक्ला ने कहा कि खुशी उनसे 12 साल छोटी है। शादी के समय वह कवल 16 साल की थी। घटना के बाद उसे तो समझ ही नहीं आया कि कहां क्या हो गया। उसके जेल चले जाने के बाद पूरा परिवार दर्द झेल रहा था। एक-एक दिन मुश्किल से कटा।

एक बार सीने से लगा ले बहू, बूढ़ी आंखें जीभर रोना चाहती हैं

मेरी बहू सिंगार दान तक न खोल पाई थी। लाल साड़ी के जोड़े की परत भी नहीं खुल पाई थी। अभी तो ससुराल की चहारदीवारी को भी ठीक से नहीं समझ सकी थी और जेल चली गई। उसका सारा सामान सुरक्षित है। बस..एक बार मेरी नतबहू इस घर की दहलीज पर आ जाए और मेरे गले लग जाए। उसके कंधे पर सिर रखकर ये बूढ़ी आंखें जीभर रोना चाहती हैं। ये कहते-कहते खुशी दुबे की दादी सास ज्ञानवती की आंखें झर-झर बहने लगीं।

ढाई साल पुराने उस खौफनाक मंजर को यादकर ज्ञानवती की आंखों में खौफ तैर गया। पूछने पर बोलीं, बिकरू कांड ने हमारे परिवार की खुशियां छीन लीं। बेटा अतुल दुबे मारा गया। नाती अमर मारा गया। खुशी, बेटा संजू, बहू क्षमा जेल गई। फिर बोलीं, मेरी नत बहू को तो बाहर आना ही था। अदालत पर पूरा भरोसा था।

रोती हुए ज्ञानवती बोलीं, हाथ की मेहंदी छूटने से पहले ही उसे हथकड़ी लग गई। कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा, इसी कमरे में खुशी आई थी। आज भी वहां वहां जाते ही आंसू निकल आते हैं। शादी में बेड से लेकर सिंगार दान मिला था। उसके मेकअप का सामान धूल में सना हुआ था। धीरे-धीरे उन्हें साफ किया। साड़ियां संभाल कर रखीं।

दादी सास ने बताया कि मकान सील होने से पहले नत बहू खुशी का सामान दूसरी जगह रखवा दिया है। वो आएगी तो उसे सब मिल जाएगा।

रूंधे गले से कहा, इस बुढ़ापे में जो दुख झेल रही हूं, भगवान किसी को न दे। एक बार नत बहू को देख लूं तो सुकून मिल जाएगा। खुशी की रिहाई को लेकर दादी ज्ञानवती खुश थीं पर मोहल्ले में सन्नाटा पसरा था। गांव के बंद अन्य आरोपितों के परिवार में भी खुशी की रिहाई की चर्चा हो रही थी।



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments