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WhatsApp Chatting for Mental Health: सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स फेसबुक (Facebook), ट्विटर, इंस्टाग्राम, टेलिग्राम, व्हाट्सएप (WhatsApp) या अन्य किसी भी एप्लिकेशन का इस्तेमाल आज बहुत ज्यादा बढ़ गया है. चाहे किसी समस्या का समाधान ढूंढना हो, मनोरंजन करना हो, जानकारी लेनी-देनी हो या सगे-संबंधियों से बातचीत करनी हो तो लोग इन एप्स (App) का इस्तेमाल करते हैं. कभी-कभी चैट में मैसेज टाइप करते-करते उलझन सी भी महसूस की होगी लेकिन महिलाओं के मामले में ऐसा नहीं है. व्हाट्सएप पर चैट करना (WhatsApp Chatting) महिलाओं को न केवल फोन पर बात करने के मुकाबले ज्यादा आसान लगता है बल्कि कॉन्फिडेंशियल भी लगता है. वे व्हाट्सएप चैट करने में पुरुषों से काफी आगे हैं. खास बात है कि ये चैट भी इस हेल्पलाइन 9999666555 नंबर पर की गई है जो एक मेंटल हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का है.
मानसिक स्वास्थ्य संगठन वंद्रेवाला फाउंडेशन की फ्री राष्ट्रीय हेल्पलाइन के 3 महीनों के आंकड़े बताते हैं कि फाउंडेशन की हेल्पलाइन पर मेंटल इश्यूज को लेकर सलाह और परामर्श लेने वालों में युवा आबादी ने सबसे ज्यादा व्हाट्सएप का उपयोग किया है. जबकि मध्यम आयु वर्ग और उससे ऊपर के लोगों ने टेलीफोनिक बातचीत को अधिक पसंद किया.
आंकड़ों से पता चलता है कि अधिकांश युवा अपने मानसिक स्वास्थ्य की मदद के लिए व्हाट्सएप का उपयोग कर रहे हैं और इसे बेहतर मानते हैं. 18 वर्ष से कम आयु के 65 फीसदी, 18-35 आयु वर्ग के 50 फीसदी, 35-60 आयु वर्ग के 28.3% और 60 वर्ष से अधिक आयु के 8 फीसदी लोगों ने मेंटल हेल्थ के लिए व्हाट्सएप यूज किया है.
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फाउंडेशन के डेटा के अनुसार लगभग 53 फीसदी महिलाएं व्हाट्सएप चैट का उपयोग करके हेल्पलाइन से संपर्क करना पसंद करती हैं, जबकि 42 फीसदी पुरुष व्हाट्सएप चैट का उपयोग करना पसंद करते हैं. वहीं बाकी मामलों में लोग टेलिफोन के द्वारा काउंसलिंग लेते हैं.
खास बात है कि व्हाट्सएप ने उस वर्ग को सबसे ज्यादा राहत दी है जो शायद कभी भी मानसिक स्वास्थ्य सहायता ऑफलाइन क्लीनिकों पर जाकर नहीं ले सकता था. खासतौर पर ऐसी महिलाएं, लड़कियां और युवक जो अपने परिवार या साथियों को बिना बताए अपने मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं पर चर्चा करना चाहते हैं वे व्हाट्सएप का इसके लिए इस्तेमाल करते हैं. वे इसे गोपनीय मानते हैं और समय की उपलब्धता के अनुसार साइलेंट तरीके से अपनी समस्याओं का समाधान हासिल कर पाते हैं.
फाउंडेशन की प्रमुख और परोपकारी, प्रिया हीरानंदानी वंद्रेवाला कहती हैं, ‘हमसे संपर्क करने वाले एक तिहाई लोगों ने हमें बताया कि वे मानसिक बीमारी, चिंता, अवसाद और आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे हैं. 2022 में भारत में हत्याओं और कोरोना वायरस से ज्यादा जानें आत्महत्या ने लीं. भले ही आज देश का हर मेडिकल छात्र मनोचिकित्सक बन गया हो, हमारे पास मानसिक स्वास्थ्य संकट को हल करने के लिए पर्याप्त लोग नहीं हैं. इसके साथ ही मेंटल हेल्थ के लिए मदद लेने वाले लोगों के मन में झिझक और डर को दूर करने की भी जरूरत है.
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Tags: Mental health, Suicide, Whatsapp, Women
FIRST PUBLISHED : March 05, 2023, 14:42 IST
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