रिपोर्ट – आशुतोष तिवारी
रीवा. ‘न खींचो कमान, न तलवार निकालो, जब तोप हो मुकाबिल तब अखबार निकालो…’ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day 2023) से एक दिन पहले आपको उन महिलाओं की कहानी बताते हैं जो अभाव में अपने अधिकारों और सम्मान की लड़ाई लड़ रही हैं. बहिनी दरबार (Bahini Darbar) संगठन ने सामाजिक न्याय (Social Justice) का भार अपने सिर पर उठाया है. चाहे मजदूरी न मिलना हो, घरेलू हिंसा (Domestic Violence) या फिर महिलाओं के साथ हो रहा कोई भी अन्याय… गांव की महिलाओं को कोई भी समस्या होती है, तो वो बहिनी दरबार के पास पहुंच जाती हैं और यह दरबार उन्हें न्याय दिलाने में मदद करता है.
यह कहानी है मध्यप्रदेश के रीवा जिले के एक छोटे से कस्बे डभौरा से निकल रहे एक हस्तलिखित अखबार की. वर्ष 2008 से महिलाएं यहां अपना और अपने समाज का इतिहास खुद लिख रही हैं. कहानी की शुरुआत अंबेडकर बस्ती से हुई जहां दलित समाज की कैलसिया देवी को गांव के दबंगों ने हैंडपंप से पानी लेने के लिए रोक दिया था. अपमानित किया था. कैलसिया देवी पुलिस के पास गई थीं लेकिन इंसाफ नहीं मिला. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी.
इन्हीं दिनों, उनकी मुलाकात उषा यादव के साथ हुई और फिर शुरू हुआ बहिनी दरबार जो कि कागज के पन्नों पर हाथ से लिखा जाने वाला अखवार है. यह एक ऐसा अखबार है जो इंसाफ की लड़ाई से शुरू हुआ और एक आंदोलन बन गया.
बगैर विज्ञापन सालों से कैसे चल रहा अखबार?
हाथ से लिखे इस अखबार में जन-जन की आवाज उठाई जाती है. सामाजिक और आर्थिक न्याय की आवाज. बहिनी दरबार संगठन में एजेंडे सेट होते हैं, बैठकें होती हैं और खबर, स्टोरी और बुलेटिन तय होता है. हर महीने निकलने वाले इस अखबार में सबसे महत्वपूर्ण जन जागरूकता का पक्ष होता है. सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी किया जाता है. सबसे बड़ी बात कि बिना विज्ञापन, बिना सरकारी मदद के बहिनी दरबार समाचार-पत्र 15 सालों से निरंतर चल रहा है.
गरीब बस्ती की एक दलित महिला कैलसिया ने अनेक चुनौतियों का सामना कर सबके सामने एक मिसाल पेश की. पत्रकारिता के क्षेत्र से अनजान, एक अनपढ़ महिला ने यह बताया कि हाथ से लिखा अखबार निकालकर पत्रकारिता को सामाजिक आंदोलन बनाया जा सकता है. हाथ से लिखा गया यह अखबार जिसने शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, उत्पीड़न सहित समाज के हर मुद्दे पर प्रमुखता के साथ काम किया. आज भी आम लोगों की आवाज बनकर खड़ा है.
इंस्पिरेशन है कैलासिया देवी का संघर्ष
क्षेत्र के समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि कैलसिया देवी के इस प्रयास को घर-घर तक पहुंचाने व राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की जरूरत है. यह प्रेरणादायी कहानी है. बहिनी दरबार का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को साक्षर और सक्षम बनाया जाए ताकि वे तमाम विषयों पर निर्णय ले सकें. अपने अधिकारों के लिए लड़ सकें और अपने खिलाफ हिंसा को रोक सकें.
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Tags: International Women’s Day, Rewa News, Women rights
FIRST PUBLISHED : March 07, 2023, 10:07 IST