विश्व पुस्तक मेला में अनबाउंड स्क्रिप्ट के स्टॉल पर डॉ. निधि अग्रवाल की पुस्तक ‘गिल्लू की नई कहानी’ का लोकार्पण हुआ. यह शहरी जीवन में एक गिलहरी के प्रवेश और आत्मीयता की रोमांचक कहानी है. इसे डायरी की शैली में लिखा गया है, लेकिन यह संस्मरण है. इस अनूठी कहानी का लोकार्पण प्रसिद्ध लेखिका ममता कालिया ने किया.
इस मौके पर कथाकार ममता कालिया ने कहा कि महादेवी वर्मा ने पहली बार गिलहरी को गिल्लू कहा था. यह नाम इतना कौतुकपूर्ण और बिम्बात्मक था कि लोग गिलहरी को गिल्लू कहने लगे. उनके गिल्लू कहने से पहले लोग गिलहरी को कट्टो गिलहरी कहते थे. उन्होंने कहा कि महादेवी वर्मा मानवीय संसार के साथ उसके आस-पास के मानवेतर जगत को बहुत करुणा और आत्मीयता से देखती थीं. इसलिए उनके रचे रेखाचित्र अमर हो गए. पुस्तक की लेखिका डॉ. निधि अग्रवाल ने गिल्लू की नई कहानी में उसे आगे बढ़ाया है.
बाल साहित्यकार दिविक रमेश ने कहा कि हिंदी में बाल साहित्य और किशोर साहित्य पर काफी काम हो रहा है लेकिन उसे पहचानने की भी जरूरत है. हिंदी का पहला बाल उपन्यास मुंशी प्रेमचंद ने लिखा था. उसके बाद से बहुत कुछ लिखा गया है. बाल और किशोर साहित्य में जो कौतुक, जिज्ञासा और कल्पनाशीलता देखने को मिलती है, उस पर गौर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि डॉ. निधि अग्रवाल ने एक ज़रूरी काम किया है.
लोग इस किताब को पसंद कर रहे हैं. लगभग दो सौ पृष्ठों की इस किताब में गिलहरी, खरगोश और पक्षियों के जीवंत रेखांकन भी हैं. पुस्तक की लेखिका डॉ. निधि अग्रवाल ने कहा कि उनके जीवन में गिल्लू का आना संवेदन और कोमलता के प्रकाश जैसा था. गिल्लू ने हमें अपने आसपास के मानवेतर जगत से जोड़ दिया. उन्होंने कहा- ‘मैंने देखा कि आस-पास एक बहुत भरा पूरा जीवन है, जिसे सामान्यतः हम नजर अंदाज करते हैं. जब आप देखने लगते हैं तो आसपास चिड़ियां, गिलहरियां और तरह-तरह के पक्षियों का एक संसार नजर आने लगता है. यह वह दुनिया है जो मनुष्य के जीवन को और समृद्ध बनाती है.’
प्रकाशक अलिंद महेश्वरी ने कहा कि वह साहित्य की विरल विधाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं. वे डायरी, सस्मरण, रेखाचित्र, बाल उपन्यास के प्रकाशन पर ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस किताब को लोग जिस तरह पढ़ रहे हैं उससे इस दिशा में आगे काम करने का हौसला मिला है.
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FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 22:58 IST