रिपोर्ट- शाश्वत सिंह
झांसी. “नहीं मिलते मुझे खिलौने, ललक नहीं है मुझे इसकी/पर एक ललक जरूर है मन में/हंस हंस के ही बचपन बिताऊं/मोटरगाड़ियों से करने की, मसूरी की सैर/ललक मुझे है इसकी/पर चढ़कर हिमगिरि की चोटी पर/ललक है हिंद का तिरंगा फहराऊं…” ये पंक्तियां करीब 25 साल पहले 1997 में बिहार के गांव के एक बच्चे ने अपनी डायरी में लिखी थीं. और अब सच यह है कि ये पंक्तियां लिखने वाला शख्स मसूरी में अधिकारी ट्रेनिंग लेकर आईएएस बन चुका है, माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा चुका है और अपने नाम कई प्रकाशित किताबें रखता है.
IAS रविंद्र कुमार वर्तमान में झांसी के जिलाधिकारी हैं. IAS होने के अलावा उनमें क्या खूबियां हैं, यह आप जान ही चुके हैं. वह पर्वतारोही हैं और साथ ही मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट भी. इसके अलावा, वह एक संवेदनशील कवि भी हैं. विश्व कविता दिवस के अवसर पर रविन्द्र कुमार ने न्यूज 18 लोकल से खास बातचीत में अपने कवि बनने की यात्रा के कुछ किस्से साझा किये.
Q.कविताओं से आपका लगाव कैसे हुआ?
A. मेरी प्रारंभिक शिक्षा बिहार के एक स्कूल में हुई. हिंदी मीडियम का विद्यार्थी होने के नाते कविताओं से जुड़ाव तो शुरू से ही हो गया था. जब छठी कक्षा में आया तो स्कूल में होने वाली कविता लेखन या काव्य पाठ की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने शुरू किया. वहां से जो प्रोत्साहन मिला और लोगों को मेरी कविताएं अच्छी लगने लगी तो फिर कविताएं लिखने का दौर जारी रहा.
Q. आपके जीवन में कविताएं क्या किसी घटना विशेष या किसी स्थिति विशेष से आईं?
A. नहीं, नहीं इसका कुछ भी टूटने या जुड़ने से संबंध नहीं है. जब छोटा था तो एक विद्यार्थी के तौर पर और जब बड़ा हुआ तो एक नागरिक के तौर पर अपने आसपास जो कुछ घटित हो रहा था, उस पर अपने विचार अभिव्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम मुझे कविताएं ही लगी. जब दसवीं कक्षा में था तो मैंने एक कविता लिखी थी जिसका अर्थ था कि एक तरफ हम चांद और मंगल पर नई दुनिया खोजने में लगे हैं, लेकिन हमारी अपनी दुनिया में कितनी कमियां हैं, कितनी समस्याएं हैं, इन पर हम बात ही नहीं करना चाहते. ऐसे ही कई मुद्दों पर मैं लिखता रहा.
Q. आप के सबसे पसंदीदा कवि कौन है?
A. मैं किसी एक कवि को फेवरेट नहीं कह सकता. यह निर्भर करता है कि मैं किस तरह की कविता पढ़ना चाहता हूं. अगर वीरता या देश भक्ति पर कविता पढ़नी है तो मैं रामधारी सिंह दिनकर को पसंद करूंगा. अगर काल्पनिक कविताएं पढ़नी है तो मैं अज्ञेय को पढ़ लूंगा. इसके अलावा भी कई कवि हैं जिन्हें मैं पढ़ता हूं.
Q. नौकरी के साथ कविताएं, समय कैसे निकलते हैं?
A. कविता लिखना मेरे लिए किसी शौक या हॉबी से बढ़कर है. यह मेरे लिए अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम है. एक अधिकारी के तौर पर हम कई बातें नहीं बोल पाते हैं. लेकिन, उन्हें कविताओं के माध्यम से लोगों तक पहुंचा सकते हैं. कविताएं समाज को सुधारने का काम करती हैं. सोशल मीडिया के इस दौर में तो आप बहुत आसानी से अपनी कविताएं दुनिया तक पहुंचा सकते हैं.
Q. विश्व कविता दिवस पर युवाओं से क्या कहना चाहेंगे?
A. मैं सभी युवाओं से यही कहना चाहूंगा कि अपने विचारों को शब्दों के माध्यम से कागज पर लिखते रहिए. उन्हें दुनिया के साथ साझा कीजिए. खूब किताबें पढ़िए और अपनी कविताओं के संकलन को भी प्रकाशित करवाने की कोशिश करते रहिए. लिखते रहिए और अच्छा लिखते रहिए.
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Tags: Hindi poetry, Jhansi news
FIRST PUBLISHED : March 21, 2023, 14:40 IST