Monday, July 8, 2024
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World Thalassemia Day 2023: थैलेसीमिया पीड़ित समय पर कराएं उपचार, बच्चा रहेगा सलामत, जानें क्या होते हैं लक्षण


हाइलाइट्स

थैलेसीमिया स्‍थायी रक्‍त विकार है, जो अनुवांशिक होता है, इसके प्रति जागरूकता के लिए 8 मई को ‘विश्व थैलेसीमिया दिवस’ मनाया जाता है.
इस बीमारी में मरीज के खून में लाल रक्‍त कण नहीं बन पाता, जिस वजह से मरीज के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है.

World Thalassemia Day 2023 : दुनियाभर में 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है. यह रक्त रोग जेनेटिक होती है. थैलेसीमिया आनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है. इस बीमारी की पहचान जन्म के दौरान हो पाना मुश्किल होती है. हालांकि 3 माह बाद इसकी पहचान हो पाना संभव हो जाता है. इस बीमारी में बच्चे के शरीर में खून की कमी होने लगती है. इसके चलते बच्चे को एनीमिया हो जाता है. यदि समय पर समुचित इलाज न मिला तो बच्चे की मृत्यु भी हो जाती है. भारतवर्ष में 3 फीसदी व्यक्ति थैलेसीमिया से पीड़ित हैं. संवाहक स्वयं तो रोगी नहीं होते किन्तु उनके बच्चे थैलेसीमिया रोगी हो सकते हैं. यदि माता पिता दोनों थैलेसीमिया से पीड़ित हो तो बच्चे में बीमारी की संभावना 25 फीसदी तक होती है. आइए गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज कन्नौज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कैलाश सोनी से जानते हैं क्या है यह बीमारी, इसके लक्षण क्या हैं और क्या हैं इससे बचने के तरीके.

नष्ट हो जाते हैं लाल रक्त कण

डॉ. कैलाश सोनी के अनुसार, थैलेसीमिया रक्त संबंधी बीमारी होती है. थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों में जन्म से ही रक्त नहीं बनता है. इसके चलते इस बीमारी के चपेट में आने वाले बच्चे को सबसे अधिक खून की जरूरत होती है. क्योंकि थैलेसीमिया के मरीजों में लाल रक्त कण कम समय में ही नष्ट हो जाते हैं. दरअसल, सामान्यतौर पर एक व्यक्ति के शरीर में पाए जाने वाले लाल रक्त कणिकाओं (Red blood cell) की उम्र लगभग 120 दिन होती है. इसके बाद खान-पान से शरीर में फिर रक्त बन जाता है. वहीं, थैलेसीमिया के मरीजों में लाल रक्त कणिकाओं की उम्र घट जाती है. इसके चलते उनमें नया रक्त बनने का समय नहीं मिल पाता है और वह एनीमिया का शिकार हो जाता है. इस बीमारी का उचित समय पर इलाज बेहद जरूरी है.

ऐसे करें लक्षणों की पहचान

डॉ. कैलाश सोनी के अनुसार, थैलेसीमिया एक आनुवांशिक कारक बीमारी होती है. इस बीमारी का मुख्य कारण लाल रक्त कण का नष्ट होना होता है. हीमोग्लोबिन कम होने के मरीज एनीमिया का शिकार हो जाता है. थैलेसीमिया से ग्रसित होने पर ज्यादातर कमजोरी, हर समय थकावट, सर्दी-जुकाम, पेट में सूजन, स्किन का रंग पीला पड़ना आदि लक्षण दिखने लगते हैं. यदि किसी में भी इस तरह की दिक्कत हो तो समय पर इलाज बहुत जरूरी है.

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ऐसे करें बचाव

थैलेसीमिया जैसे आनुवांशिक रोग पर काबू पाने के लिए सबसे जरूरी है कि पति-पत्नी अपने खून की जांच कराएं. क्योंकि कई बार माइनर थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति को पता ही नहीं होता है कि वह इस बीमारी से पीड़ित है. पति-पत्नी को खून की जांच कराने से आनुवांशिक रोग से होने वाले बच्चे को बचाया जा सकता है. इसके साथ ही, थैलेसीमिया के रोगियों के इलाज में क्रोनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन थेरेपी, आयरन कीलेशन थेरेपी को भी शामिल किया गया है.

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ऐसा करने से थैलेसीमिया के रोगियों में लाल रक्त कण आस्थाई रूप से बढ़ने लगते हैं. हालांकि थैलेसीमिया का इलाज बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करती है. क्योंकि थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है. ऐसे में दोनों की समय पर जांच जरूरी है.

Tags: Health benefit, Health tips, Lifestyle



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