Home National XBB वेरियंट ज्यादा गंभीर नहीं, कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बहुत कम: इन्साकॉग

XBB वेरियंट ज्यादा गंभीर नहीं, कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बहुत कम: इन्साकॉग

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नई दिल्ली. भारत के कोरोनावायरस जीनोमिक सर्विलांस प्रोग्राम INSACOG के प्रमुख एनके अरोड़ा ने कोरोना वायरस के नए मामलों में हो रही बढ़ोतरी के लिए सब-वैरिएंट XBB1.16 को जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि देश में किसी नए वेरिएंट के मामले फिलहाल नहीं देखे गए हैं. अरोड़ा ने मनीकंट्रोल को बताया, XBB वेरिएंट एक संक्रामक वेरिएंट है, और 90 प्रतिशत कोविड सैंपल XBB वेरिएंट के हैं. साथ ही इसके सब वेरिएंट XBB 1.16 के लगभग 60 फीसदी केस हैं.  मार्च 2023 के तीसरे सप्ताह तक एकत्र किए गए नमूनों में से एक्सबीबी सबसे आम तौर पर प्रसारित होने वाला ओमीक्रोन सब वेरिएंट रहा है.

इन्साकॉग प्रमुख ने कहा कि मामले बढ़ने की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत कम रही है. भारत में ओमीक्रोन और इसके उपस्वरूप का प्रसार जारी है और विशेष रूप से भारत के पश्चिमी, दक्षिणी और उत्तरी भागों में संक्रमण दर में वृद्धि देखी गई है. भारत के विभिन्न हिस्सों में एक नए स्वरूप एक्सबीबी.1.16 का उभार देखा गया है. अब तक संक्रमण जितने मामले सामने आए हैं, उनमें से 38.2 प्रतिशत एक्सबीबी.1.16 के हैं.

अस्पताल में भर्ती किए जाने की नौबत बहुत कम
अरोड़ा ने कहा, “अगर आप हर रोज मामलों में वृद्धि देखते हैं, यानी कि प्रति दिन 150 मामलों से लेकर लगभग 5,000 मामलों तक, हमने पिछले आठ हफ्तों में मामलों का पता लगाने की दर में 30 गुना वृद्धि देखी है. सौभाग्य से, अस्पताल में भर्ती होने वाले मामलों में इजाफा नहीं हुआ है; इस अवधि के दौरान रोगी के अस्पताल में भर्ती किए जाने की नौबत बहुत कम आई है.”

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टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के भी प्रमुख अरोड़ा ने यह भी कहा कि एक्सबीबी वेरिएंट और इसकी उप-वंशावली अब सीवेज के नमूनों से पाई जा रही है, जो समुदाय में इसकी पूरी तरह से बस जाने का संकेत देती है. यहां तक कि बूस्टर खुराक लेने वालों को भी कोविड हो रहा है.

बूस्टर डोज लेने वाले 20-40 फीसदी लोग संक्रमित
इन्साकॉग के सह-अध्यक्ष ने कहा कि शुरुआती संक्रमणों के डेटा विश्लेषण से पता चला है कि बूस्टर डोज लेने वाले 20 से 40 प्रतिशत लोग भी कोविड से संक्रमित हो रहे थे.

राज्यों द्वारा मास्क को अनिवार्य किए जाने के बारे में पूछे जाने पर अरोड़ा ने कहा, “मास्क का उपयोग तीन श्रेणियों द्वारा किया जाना चाहिए: जो बीमार हैं, अस्पतालों में ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्यकर्मी और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर पहले से किसी बीमारी से पीड़ित लोग.”

अरोड़ा ने कहा कि राज्य सरकारों को फ्लू या इन्फ्लुएंजा के लक्षण वाले रोगियों की टेस्टिंग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

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