इतनी लंबी रेल लाइन होने के बाद भी भनवारटंक टनल के पास वाली सुरंग से ट्रेनें 45 किमी प्रति/घंटे की रफ्तार से निकलती हैं, वहीं पुरानी टनल से ट्रेनों की रफ्तार कम हो जाती है. पुरानी टनल बेहद जर्जर अवस्था में है और इसके अंदर की बनावट अंग्रेजों की इंजीनियरिंग के आधार पर की गई है. टनल के अंदर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर छोटे-छोटे सुरंगनुमा कमरे हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि मानो ट्रेन आने के दौरान कर्मचारी इन्ही कमरों में घुस जाते होंगे. टनल के बीचों बीच पानी का एक स्रोत है, जिसमें से शुद्ध व ठंडा पानी निकलता है. यह पहाड़ो से रिसकर यहीं जमा होता है.