इस्लामाबाद : तोशखाना मामले में इस्लामाबाद न्यायिक परिसर में सुनवाई के दौरान इमरान खान के समर्थकों की ओर से की गई हिंसा के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इमरान खान के खिलाफ दायर मामलों की कुल संख्या 80 हो गई है। जानकारी के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सदस्यों के खिलाफ इस्लामाबाद के गोलरा शरीफ पुलिस स्टेशन में सरकारी वाहनों को आग लगाने, पुलिस अधिकारियों पर हमला करने और उनके आधिकारिक हथियार छीनने का मामला दर्ज किया गया है। न्यायिक परिसर में न्यायाधीशों के सामने पेश होने के लिए इस्लामाबाद जाने के तुरंत बाद पंजाब पुलिस ने जमान पार्क, लाहौर में खान के आवास पर छापा मारा था।
पंजाब के कार्यवाहक सूचना मंत्री आमिर मीर ने जबरन और अवैध ऑपरेशन के पीटीआई के दावों को खारिज कर दिया, और कहा कि सर्च वारंट के बाद ही अभियान चलाया गया। उन्होंने कहा, ‘हमने एक ऑपरेशन चलाया। घर के चारों ओर रेत के सैकड़ों बैग लगाए गए थे। हमने परिसर से अवैध हथियार, पेट्रोल बम, धनुष और पत्थर के गोले बरामद किए, जिनका इस्तेमाल पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों पर हमला करने के लिए किया जा रहा था।’ ‘इमरान खान के घर और उसके आसपास के क्षेत्र को हथियारबंद लोगों की ओर से अवैध रूप से पहरा देने के कारण नो-गो क्षेत्र में बदल दिया गया। हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते। आवास के अंदर और आसपास मौजूद बदमाशों ने हमारे दर्जनों पुलिस अधिकारियों पर हमला किया, और उन्हें घायल कर दिया।’
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पुलिस से भिड़े पीटीआई कार्यकर्ता
रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा बलों ने इस्लामाबाद से पीटीआई के 17 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है और पार्टी के कई नेताओं के आवासों पर छापा मारा गया है। तोशखाना मामले में न्यायाधीशों के सामने पेश होने के लिए खान अपने हजारों समर्थकों के साथ रविवार को लाहौर से इस्लामाबाद गए थे। उनके कम से कम 4,000 समर्थक सेक्टर जी-11 न्यायिक परिसर पहुंचे थे। खान पर पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) के समक्ष प्रस्तुत अपनी संपत्ति घोषणाओं में डिपॉजिटरी से प्राप्त उपहारों के विवरण को छिपाने का आरोप है। हालांकि, उनके कोर्ट आगमन पर, पुलिस और कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़पें हुई।
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बढ़ रही हैं इमरान की कानूनी मुश्किलें
खान के समर्थक उनके साथ अदालत परिसर में जाना चाहते थे, जिसकी इजाजत नहीं थी। इस घटना ने अदालत को पूर्व प्रधानमंत्री के गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट को रद्द करने और उनकी उपस्थिति को चिह्नित करने के बाद 30 मार्च तक मामले की सुनवाई स्थगित करने के लिए मजबूर किया। विशेषज्ञों का मानना है कि खान की कानूनी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मौजूदा सरकार इस साल के अंत में होने वाले आम चुनाव से पहले उन्हें दौड़ से बाहर देखने के उद्देश्य से कानूनी रास्ते से उनकी लोकप्रियता और उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता से निपटने की कोशिश कर रही है।