Friday, November 22, 2024
Google search engine
HomeLife Styleइस कपड़े की साड़ी पहनकर वित्त मंत्री ने पेश किया अंतरिम बजट,...

इस कपड़े की साड़ी पहनकर वित्त मंत्री ने पेश किया अंतरिम बजट, महिलाओं की है…


सत्यम कुमार/भागलपुर. भागलपुरी तसर का नाम आपने खूब सुना होगा. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इसको तैयार करने में कितनी मेहनत लगती है. चलिए आज हम बताते हैं. इसको तैयार करने में 20 से 25 दिन लगते हैं. जब इसको लेकर बुनकर संजीव कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि तसर को कई नाम से जाना जाता है. इसको पेपर सिल्क, कोरियन सिल्क या फिर देसी सिल्क भी कहा जाता है. पहले भागलपुर में कोकून बड़े पैमाने पर उपलब्ध हुआ करता था, लेकिन अब धीरे-धीरे कोकुन खत्म होता चला गया. इसके पीछे की वजह है इसको तैयार करने में काफी मेहनत लगती थी. अब कोकून राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि राज्यों से भागलपुर पहुंचता है. बता दें कि इस बार तसर सिल्क साड़ी पहनकर ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अंतरिम बजट पेश किया है.

ऐसे शुरू होती है प्रक्रिया
उन्होंने बताया कि कोकून को पहले उबाला जाता है. इसके बाद यह पूरी तरीके से नरम हो जाता है. फिर इससे रुइनुमा धागा निकलता है. उसके बाद उस धागे को यहां की महिलाएं तैयार करती थी. यह सिल्क काफी खूबसूरत होती है, इसलिए लोगों की यह पहली पसंद रहती है. जंघा पर तैयार होने वाली तसर सिल्क को तसर घिच्चा के नाम से भी जाना जाता है. इसको बेसिकली हैंडलूम पर तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि इसके धागे इतने मुलायम होते हैं कि वह पावर लूम पर नहीं चल सकता है. इसलिए इसकी एक साड़ी तैयार करने में 20 से 25 दिन तक लग जाते हैं. लेकिन अब इसके कारीगर भी यहां पर नहीं बचे हैं. अब इसका धागा बाहर से मंगाया जाता है.

यह भी पढ़ें- ऐसे DM छोड़ दे अपनी नौकरी! कलेक्टर पर भड़का छात्राओं का गुस्सा, कहा 1 साल की बर्बादी का जिम्मेदार कौन होगा?

इन पेड़ों पर पाले जाते हैं रेशम के कीड़े
रेशम का धागा रेशम के कीड़े से निकलता है. जो अर्जुन या शहतूत के पेड़ पर पाले जाते हैं. भागलपुर में इसका बहुत बड़ा बगीचा हुआ करता था. लेकिन धीरे-धीरे खत्म हो गया. हाल ही में 150 साल पुराना अर्जुन का पेड़ काट दिया गया. वह बताते हैं कि जिले में 10 हजार से अधिक बुनकर हैं. लेकिन अब मात्र 10 बुनकर के पास हैंडलूम बचा होगा. आधुनिकीकरण के कारण लोगों ने हैंडलूम पर काम करना छोड़ दिया है, क्योंकि इसमें बचत नहीं हो पाती थी. बाहर से आने वाले तसर सिल्क का धागा पावर लूम पर चलाया जाता है.

Tags: Bhagalpur news, Bihar News, Lifestyle, Local18



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments