हाइलाइट्स
माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी दिन बुधवार को 11 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ हो रही है.
बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 15 मिनट से रात 08 बजकर 47 मिनट तक है.
माघ माह का अंतिम प्रदोष व्रत बुधवार के दिन माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि को पड़ेगा. इस समय शुक्ल पक्ष चल रहा है और इसकी त्रयोदशी को आने वाला प्रदोष इस माह का अंतिम प्रदोष व्रत होगा. माघ पूर्णिमा के बाद फिर फाल्गुन के कृष्ण पक्ष का प्रदोष आएगा. माघ का अंतिम प्रदोष बुधवार को है, इसलिए यह बुध प्रदोष व्रत होगा. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस बार का बुध प्रदोष व्रत आयुष्मान और सौभाग्य योग में है. साथ ही उस दिन पुनर्वसु एवं पुष्य नक्षत्र भी हैं. जो लोग प्रदोष के दिन रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं, उसके लिए भी शुभ समय है. आइए जानते हैं कि माघ का बुध प्रदोष व्रत कब है? बुध प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त क्या है?
कब है बुध प्रदोष व्रत?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी दिन बुधवार को 11 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ हो रही है. इस तिथि की समाप्ति 22 फरवरी दिन गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 21 मिनट पर होगी. प्रदोष व्रत के लिए प्रदोष काल की पूजा मुहूर्त की मान्यता है. इस आधार पर बुध प्रदोष व्रत 21 फरवरी को मनाया जाएगा. इसका कारण यह भी है कि 22 फरवरी को त्रयोदशी तिथि दोपहर में ही खत्म हो जा रही है.
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बुध प्रदोष व्रत 2024 का मुहूर्त
जो लोग 21 फरवरी को बुध प्रदोष का व्रत रखेंगे, उनको शिव पूजा के लिए ढाई घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा. माघ के बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 15 मिनट से रात 08 बजकर 47 मिनट तक है. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 05:13 एएम से सुबह 06:04 एएम तक है.
सौभाग्य योग और पुष्य नक्षत्र में होगी प्रदोष पूजा
माघ के बुध प्रदोष व्रत की पूजा सौभाग्य योग और पुष्य नक्षत्र में होगी. व्रत वाले दिन प्रात:काल से ही आयुष्मान् योग बना रहेगा, जो 11 बजकर 51 मिनट पर खत्म होगा. उसके बाद से सौभाग्य बन जाएगा, जो पूरी रात तक रहेगा. वहीं पुनर्वसु नक्षत्र प्रात:काल से दोपहर 02 बजकर 18 मिनट तक है, उसके बाद से पुष्य नक्षत्र होगा.
बुध प्रदोष व्रत के दिन बने दोनों ही योग शुभ हैं और नक्षत्र भी ठीक हैं. इसमें पूजा पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती है.
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बुध प्रदोष व्रत 2024 रुद्राभिषेक समय
बुध प्रदोष व्रत के दिन जो लोग शिव कृपा की प्राप्ति और जीवन में उन्नति के लिए रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं, वे सूर्योदय बाद से इसके लिए तैयारी कर सकते हैं. जानकारी के लिए आपको बता दें कि रुद्राभिषेक के लिए आवश्यक शिववास कैलाश पर प्रात:काल से 11:27 एएम तक है, उसके बाद से शिववास नंदी पर होगा.
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट मिटते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है. भगवान भोलेनाथ की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. प्रदोष व्रत को करने से धन, दौलत, सुख, सौभाग्य, समृद्धि, आरोग्य, संतान आदि की प्राप्ति होती है.
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Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Religion
FIRST PUBLISHED : February 17, 2024, 10:07 IST