नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में संसद की नई इमारत के उद्घाटन में अब कुछ ही घंटे बचे हैं, लेकिन इस पर सियासत में कोई कमी नहीं आई है। एक तरफ जहां उद्घाटन समारोह को यादगार बनाने की तैयारियां चल रही हैं, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इसके बहिष्कार के लिए पूरा जोर लगा रहा है। इन घटनाक्रमों के बीच नई बिल्डिंग के उद्घाटन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होनी है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया है कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को न बुलाकर संविधान का अपमान किया जा रहा है।
21 पार्टियां ने किया बहिष्कार, 2 दर्जन का समर्थन
संसद की नई इमारत के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाली पार्टियों की जहां संख्या 21 हो गई है, वहीं समर्थन करने वाली पार्टियाों की संख्या दो दर्जन को पार कर चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 25 पार्टियों ने उद्घाटन समारोह का न्यौता स्वीकार कर लिया है। मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारी नई बिल्डिंग के उद्घाटन करने का समर्थन तो किया है लेकिन समारोह में आने को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
सुबह 7:30 से होगी कार्यक्रमों की शुरुआत
28 तारीख को कार्यक्रमों की शुरुआत सुबह साढ़े सात बजे से ही हो जाएगी जो दोपहर ढाई बजे तक चलेगी। सुबह पूजा पाठ के साथ शुरू होने वाले समारोह का समापन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के साथ होगा। पूरे कार्यक्रम की रूप रेखा तैयार हो चुकी है, विधि विधान का खाका बन चुका है। विपक्षी दलों के विरोध से बेपरवाह सरकार ने तय कर लिया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को तय वक्त पर ही होगा, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा उद्घाटन का मामला
पक्ष-विपक्ष की लड़ाई के बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट की वकील जया सुकिन ने एक जनहित याचिका दाखिल की है जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति को उद्घाटन समारोह से बाहर करके सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। इसमें मांग की गई है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों ही किया जाना चाहिए। इस याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है।