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G20 Summit: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल होते तो अच्छा होता, लेकिन यह (सम्मेलन) ”बेहतर ढंग से जारी है।” बाइडन जी20 शिखर सम्मेलन के लिए अपनी भारत यात्रा पर अपने साथ आए अमेरिकी मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। यह पूछे जाने पर कि क्या शी जिनपिंग की गैर मौजूदगी का जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन पर असर पड़ा है, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ”उनका यहां होना अच्छा होता लेकिन कोई बात नहीं, शिखर सम्मेलन बेहतर ढंग से जारी है।”
जिनपिंग की अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह हर देश को तय करना है कि ऐसे शिखर सम्मेलनों में उनका प्रतिनिधित्व किस स्तर पर होगा और किसी को भी इस संबंध में ज्यादा मतलब नहीं निकालना चाहिए। उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि महत्वपूर्ण बात यह है कि उस देश ने क्या रुख अपनाया है, उस देश ने विचार-विमर्श और नतीजों में कितना योगदान दिया है।” जयशंकर ने कहा कि चीन ने जी20 शिखर सम्मेलन के विभिन्न नतीजों का समर्थन किया है।
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आए हैं। चीन की ओर से प्रधानमंत्री को भेजा गया है। इसके अलावा, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी सम्मेलन से नदारद हैं। चीन के साथ बॉर्डर पर पिछले तीन सालों से अधिक समय से चल रहे विवाद के बीच उनकी जी20 में गैर मौजूदगी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। चीन के पश्चिमी देशों खासकर, अमेरिका के साथ भी संबंध पिछले लंबे समय से अच्छे नहीं रहे हैं। इसके अलावा, रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते रूस और पश्चिमी देशों के भी संबंध में खटास चल रही है।
चीन ने जी20 देशों से किया यह आह्वान किया
चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने शनिवार को जी20 सदस्य देशों के बीच एकजुटता की जरूरत पर जोर दिया और आर्थिक वैश्वीकरण के लिए सहयोग, समावेश एवं दृढ़ समर्थन का आह्वान किया। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) में दूसरे सबसे शक्तिशाली नेता की हैसियत रखने वाले क्विंग भारत की मेजबानी में आयोजित हो रहे वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के स्थान पर भाग लेने के लिए नई दिल्ली पहुंचे हैं। जी20 शिखर सम्मेलन के पहले सत्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री क्विंग ने कहा कि इस प्रभावशाली समूह को विभाजन की बजाय एकजुटता, टकराव की बजाय सहयोग और अलगाव के बजाय समावेशन की आवश्यकता है। इस समूह के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और वैश्विक आबादी के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं।