Friday, December 20, 2024
Google search engine
HomeNationalनेताओं का दल-बदल और लगातार होती हार, पूर्वोत्तर में कैसे होगी कांग्रेस...

नेताओं का दल-बदल और लगातार होती हार, पूर्वोत्तर में कैसे होगी कांग्रेस की नैया पार


ऐप पर पढ़ें

कभी पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी ताकत रही कांग्रेस अब राजनीतिक तस्वीर में बने रहने के लिए भी संघर्ष करती नजर आ रही है। खास बात है कि साल 2023 में मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में भी चुनाव होने हैं। इन तीनों ही राज्यों में लगातार चुनावी हार और नेताओं के दल बदल से कांग्रेस की हालत नाजुक है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी एक राज्य में सरकार चला रही है। जबकि, दो अन्य जगहों पर सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।

हाल ही में कांग्रेस को गुजरात में भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश से पार्टी के लिए अच्छी खबर आई। एक ओर जहां गुजरात में कांग्रेस की सीटों की संख्या 77 से गिरकर 17 पर आ गई थी। जबकि, हिमाचल में पार्टी ने 40 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी।

मेघालय

साल 2018 में 60 में से 21 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस सरकार बनाने में असफल रही थी। पार्टी के हालात इतने बिगड़े की बीते पांच सालों में अधिकांश नेता साथ छोड़कर तृणमूल कांग्रेस या नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल हो गए हैं। दल बदल की शुरुआत मार्टिन एम दांगू से हुई थी। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल सांगमा 11 और विधायकों के साथ टीएमसी में शामिल हो गए। इसके अलावा तीन विधायकों क्लीमेंट मारक, डेविड नोंगरम और आजाद जमन के निधन से भी पार्टी को झक्का लगा। इसी बीच कांग्रेस ने एम अमपरीन लिंगडोह और उनके चार साथियों को एनपीपी का समर्थन करने के चलते बाहर का रास्ता दिखा दिया।

नगालैंड

60 सीटों वाली नगालैंड विधानसभा में कांग्रेस का कोई विधायक नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख के थीरी कह रहे हैं कि पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन जानकार दल की संभावनाओं पर आशंकाएं जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है, ‘पार्टी में प्रभावशाली नेताओं की कमी है।’ साल 2018 में कांग्रेस ने 18 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी नहीं जीता। प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि निष्पक्ष चुनाव में हार और शर्मिंदगी से ज्यादा बुरा पार्टी के टिकट पर जीतने के बाद विधायकों का छोड़कर जाना है।

त्रिपुरा

साल 2018 में यहां कांग्रेस 59 में से एक भी सीट जीतने में असफल रही थी। इस साल फरवरी में पार्टी को भाजपा के दो विधायक सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा के आने से बल मिला है। कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं की पार्टी में वापसी से कांग्रेस के युवा नेताओं में उत्साह है, लेकिन जानकारों का मानना है कि फिलहाल पार्टी मौजूदा सरकार अपने बल पर उखाड़ फेंक नहीं सकती। साल 2013 में 45.75 फीसदी वोट हासिल करने वाली कांग्रेस 2018 में 1.86 प्रतिशत पर आ गई थी। इतना ही नहीं 2019 में भी पार्टी एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी थी।



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments