‘परीक्षा’ शब्द ही ऐसा है जिसे सुनकर बच्चे तो क्या बड़े भी अक्सर तनावग्रस्त हो जाते हैं. एक कहावत भी है, “परीक्षा शब्द में तीनों लोकों का भय समाया हुआ है”. बच्चों की परीक्षाएं शुरू हो चुकीं हैं. परीक्षा का सामना करने के ठीक पहले, घर से निकलते समय अभिभावकों की चेतावनी, नसीहत या समझाइश बच्चों के डर और तनाव को चरम पर भी पहुंचा देती है, और शब्द अच्छे हैं, तो डर को कम भी कर देती है. यहां तक कि माता-पिता का कठोर लहजा या घूरती आंखें भी उनके प्रदर्शन पर गहरा नकारात्मक असर डाल सकती हैं.
हालांकि, निश्चित रूप से कोई भी अभिभावक यह नहीं चाहता है, कि उनकी बातों से बच्चा हतोत्साहित हो जाए और उसके प्रदर्शन पर बुरा असर पड़े, परंतु न चाहते हुए भी जाने-अनजाने अक्सर ऐसी बातें मुंह से निकल ही जाती हैं, जिनसे लास्ट समय पर बचा जाना चाहिए. इसलिये हौंसला और आत्मविश्वास बढ़ाने और तनाव को कम करने वाली बातें कहनी चाहिए.
क्या न कहें?
ये सारे वाक्य बच्चों के मन में नकारात्मक विचार ला सकते हैं. ऐसा कभी न कहें, परीक्षा के दौरान बिल्कुल न कहें ये वाक्य.
शंका पैदा कर देना : ‘पढ़ा हुआ सब याद है न, सोने के बाद भूल तो नहीं गए?’
भ्रम में डाल देना : ‘तुम्हारी सहेली कह रही थी कि चौथा-पांचवां चैप्टर अहम है. तुम्हारी तैयारी है न?’
सहज न रहने देना : ‘दांत क्यों दिखा रहे हो? कभी तो परीक्षा को गंभीरता से लिया करो.’
डराना : ‘ध्यान रहे, ये क्लास बहुत महत्वपूर्ण है. इसके मार्क्स से भविष्य तय होता है.’
तुलना करना : ‘अपने भाई-बहन को देखो, कितने अच्छे नंबर से पास होते हैं, और एक तुम हो.’
हतोत्साहित करना : ‘इससे तो कोई उम्मीद ही नहीं है मुझे, पास हो जाए बस.’
धमकाना : ‘अच्छे नंबर नहीं लाये तो स्कूल से नाम कटवा दूंगा.’
एहसान जताना : ‘इतने पैसे ख़र्च कर रहे हैं, अपनी ज़रूरतों में कटौती करके तुम्हें पढ़ा रहे हैं, पर तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है.’
ख़ुद से दूर करने की धमकी देना : ‘इस बार परिणाम अच्छे नहीं आए तो हॉस्टल भेज देंगे, वहां सब समझ में आ जाएगा.’
जैसा कि आपको पहले भी बता चुके हैं, कोई भी अभिभावक जानबूझकर, बच्चे को डराने-धमकाने के लिए कुछ नहीं कहता. किंतु, बच्चे को लेकर चिंता या उससे अपेक्षा के चलते अच्छे इरादे से भी कुछ शब्द या वाक्य ऐसे कह दिए जाते हैं, जिनका असर उल्टा हो जाता है. यानी बच्चा जागरूक होने के बजाय डर जाता है.
क्या कहें?
1. ‘परीक्षा हॉल में सिर्फ़ पेपर पर ध्यान देना. परिणाम की चिंता को साइड में रखकर प्रश्नपत्र हल करना.’
2. ‘ख़ुद पर विश्वास रखो, तुम अच्छा कर सकते हो.’
3. ‘हमने देखा है, तुमने पर्याप्त मेहनत की है. बिल्कुल मत घबराओ.’
4. ‘हमें तुम पर पूरा यक़ीन है. तुम जीवन में बहुत आगे जाओगे.’
5. ‘ज़िंदगी में बहुत सारी परीक्षाएं आती हैं. हम सब भी रोज़ परीक्षा देते हैं. इसलिए बहुत ज़्यादा मत सोचो.’
6. ‘हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है. ईश्वर भी तुम्हारी सहायता करेगा.’
7. ‘सारी चीज़ें ध्यान से बैग में रख ली हैं न?’
8. ‘आराम से जाना. हम तुम्हें लेने समय पर आ जाएंगे.’
माता-पिता की कही हुई हर छोटी से छोटी बात भी एक बच्चे के मन पर काफ़ी प्रभाव डालती है. यदि आप उससे सकारात्मक शब्द कहेंगे, तो उसकी ऊर्जा दोगुनी हो जाएगी और वह निश्चिंत होकर परीक्षा देगा.
घर का माहौल कैसा है?
शब्दों और लहजे के अलावा, परीक्षा के समय घर का वातावरण भी ख़ुशगवार बनाए रखना अभिभावकों की ज़िम्मेदारी होती है. घर के सदस्यों में आपसी मतभेद, ख़ासकर माता-पिता के बीच झगड़े होना बच्चे के अंतर्मन को विचलित कर सकता है, जिससे उसका ध्यान पढ़ाई पर नहीं लगेगा. जब बच्चा परीक्षा के लिए निकल रहा हो तो घर के सदस्य वाद-विवाद, खट-पट, शोर, तेज़ आवाज़ में बातचीत को कुछ समय के लिए रोक दें, और उसको अच्छे मन और खुश होकर परीक्षा के लिये भेजें.
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Tags: Board exams, Parenting tips
FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 19:09 IST