अनुज गौतम/सागर. मां के गर्भ से जन्मे कमजोर बच्चों को बचाने के लिए विज्ञान की दुनिया में कई हाईटेक तरीके देखने को मिलते हैं. लेकिन, सागर में कुछ अलग हो रहा है. यहां कमजोर बच्चों को बचाने के लिए डॉक्टर एक जानवर के तरीके को अपना रहे हैं. यही नहीं, इस तरीके में अकेले मां ही नहीं, बल्कि पिता, चाचा, दादा या परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल होते हैं.
सागर जिला अस्पताल में पैदा होने वाले कम दिन और कम वजन के ऐसे बच्चे जिनके जीवित रहने की संभावना कम रहती है, उनको एक खास थेरेपी दी जाती है. इस थेरेपी में उनके पिता, चाचा, मामा, भाई का भी भरपूर सहयोग मिलने लगा है और सबसे बड़ी बात कि इसमें कोई पैसा भी खर्च नहीं होता है. इसके बेहद ही सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं.
शरीर की गर्माहट से बच्चों की स्थिति में सुधार
दरअसल, सागर में बच्चों की मृत्यु दर को सुधारने के लिए कंगारू मदर केयर यानी KMC (Kangaroo Mother Care) थेरेपी दी जा रही है. इस थेरेपी में मां बच्चे को 16 से 18 घंटे तक सीने से चिपका कर रखती है. सागर के जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड के डॉ. प्रिंस अग्रवाल बताते हैं कि केएमसी के मध्यम से मां अपने बच्चे को स्किन टू स्किन कांटेक्ट देती है. इससे मां की गर्माहट बच्चे को मिलती है.
थेरेपी से कई सारे फायदे
डॉक्टर ने बताया कि इस थेरेपी बहुत सारे फायदे होते हैं. पहला फायदा बच्चे का वजन जल्दी बढ़ता है. बच्चे की ऑक्सीजन नली जल्दी निकल पाती है. बच्चा अस्पताल से डिस्चार्ज जल्दी हो पाता है. मां को भी फायदा होता. उसको दूध जल्दी आता है. दूध ज्यादा बनता है और मां अपने बच्चे से अटैच हो पाती है.
पिता भी भागीदार बन रहे
कंगारू मदर केयर थेरेपी की वजह से सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं. अभी तक मां अपने बच्चों को यह थेरेपी दे रही थी, लेकिन कुछ समय से सागर में नवाचार देखने को मिला है. यहां चिकित्सकों की देखरेख में अब बच्चों के पिता, भाई, मामा या अन्य कोई पुरुष उसे केएमसी थेरेपी दे रहा है. डॉक्टर के द्वारा इसे दो शिफ्टों में कराया जाता है. एक शिफ्ट 6 से 8 घंटे की सुबह होती है और दूसरी शाम से लेकर रात तक 6 से 8 घंटे की शिफ्ट होती है.
कंगारू की तर्ज पर बच्चों की देखरेख
ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु कंगारू अपने बच्चों को पूरी तरह से सुरक्षित सीने से लगाकर रखता है. वैसे ही मां भी अगर अपने बच्चों को सीने से चिपका कर रखती है तो उसका बहुत बड़ा फायदा मिलता है. मादा कंगारू के गले से थोड़ा नीचे एक पॉकेट होता है, जिसमें वह अपने बच्चों को हमेशा रखती है. साथ लेकर चलती है और वह बच्चा अपने आप को बेहद सुरक्षित महसूस करता है.
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FIRST PUBLISHED : October 15, 2023, 22:30 IST